लाइव न्यूज़ :

लोकसभा चुनाव 2019: तमिलनाडु में चौतरफा मुकाबला, कई पेंचों में उलझा जातीय फैक्टर

By सतीश कुमार सिंह | Updated: April 17, 2019 16:59 IST

लोकसभा चुनाव 2019: दक्षिण भारत के तमिलनाडु में कुल 39 लोकसभा सीट हैं और मतदान 18 अप्रैल को होगा। राज्य में कुल 5.86 करोड़ मतदाता हैं, जिसमें इसकी 18 प्रतिशत आबादी एससी की है, जोकि देश में सबसे ज्यादा है।

Open in App
ठळक मुद्दे पिछली बार राज्य की 39 में से 39 सीटें अन्नाद्रमुक ने जीती थी।राज्य में द्रमुक एवं अन्नाद्रमुक एक-दूसरे के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी हैं

लोकसभा चुनाव जोरों पर है। सबकी नजरें दक्षिण भारत में तमिलनाडु पर है। तमिलनाडु में चौतरफा मुकाबले से नए फैक्टर सामने आ रहे हैं। जातिगत जटिलताओं ने चुनाव को कई पेंचों में उलझा दिया है। मुख्य मुकाबला डीएमके-कांग्रेस गठबंधन और अन्नाद्रमुक-भाजपा गठबंधन के बीच है।

लोगों की नजरें इस चुनाव से उभरने वाले नए नेतृत्व पर लगी हैं, जो एम. करुणानिधि और जे. जयललिता के निधन से रिक्त हुआ है। कुल 39 सीट हैं और मतदान 18 अप्रैल को होगा। अब देखना है कि बाजी कौन मारेगा।

करुणानिधि और जयललिता का ही रहा बोलबाला

तमिलनाडु की राजनीति में लंबे समय से दो दलों द्रमुक और अन्नाद्रमुक व इनके नेताओं एम. करुणानिधि और जे. जयललिता का ही बोलबाला रहा है। इन नेताओं का कद इतना बड़ा हो गया था कि इन्हीं के दलों में दूसरी पंक्ति का नेतृत्व तैयार नहीं हो सका। इसलिए आज जब करुणानिधि और जयललिता के बिना राज्य में लोकसभा चुनाव हो रहा है तो लोगों के मन में यही प्रश्न है कि क्या एमके स्टालिन करुणानिधि की जगह ले पाएंगे? या ई. पलानीसामी जयललिता की कमी पूरा कर पाएंगे? दो और चेहरे भी इस चुनाव में उतरे हैं जो इस दौड़ में हैं, जिनमें जयललिता की सहेली शशिकला के भतीजे टीटीके दिनाकरण और फिल्म अभिनेता कमल हासन हैं है।

भारी दिख रहा द्रमुक का पलड़ा!

18 अप्रैल को मतदान है। अब तक की स्थिति के अनुसार द्रमुक का पलड़ा भारी पड़ता दिख रहा है। पिछली बार राज्य की 39 में से 39 सीटें अन्नाद्रमुक ने जीती थी। इस बार यदि द्रमुक राज्य में सबसे बड़े दल के रूप में उभरकर आती है तो स्टालिन को खुद को स्थापित करने का मौका मिलेगा। इसके बाद संभावना है कि विधानसभा चुनाव भी उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा जाए और वह करुणानिधि का स्थान लेने की दिशा में काफी हद तक सफल हो जाएं। लेकिन यदि अन्नाद्रमुक इन चुनावों में पिछड़ती है तो पलानीसामी के नेतृत्व पर सवाल उठेंगे और पार्टी के भीतर नेतृत्व को लेकर जंग छिड़ सकती है।

क्षेत्रीय क्षत्रपों के भरोसे राष्ट्रीय दल

दोनों राष्ट्रीय दल भाजपा और कांग्रेस ने क्षेत्रीय दलों पर दांव लगा रखा है। भाजपा पांच और कांग्रेस नौ सीटों पर चुनाव लड़ रही है। द्रमुक-कांग्रेस गठबंधन में कुल नौ दल हैं तो अन्नाद्रमुक-भाजपा गठबंधन में आठ दल। भाजपा और कांग्रेस को जो भी सीटें मिलेंगी वह क्षेत्रीय दलों के असर के प्रभाव के रूप में मिलेंगी। हालांकि कई सीटों पर कांग्रेस के मतों का फायदा भी द्रमुक को मिलेगा। भाजपा का मत प्रतिशत ज्यादा नहीं है, इसलिए उसकी बढ़त एक-दो सीटों तक ही सीमित होगी।

आठ सीटों पर मुकाबला

राज्य में द्रमुक एवं अन्नाद्रमुक एक-दूसरे के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी हैं। गठबंधन के चलते दोनों दल इस बार महज 20-20 सीटों पर ही चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन सीटों के बंटवारे के चलते ऐसी स्थिति बनी है कि दोनों के बीच आमने-सामने मुकाबला महज आठ सीटों पर ही हो रहा है। इसलिए इन चुनावों के नतीजे बेहद रोचक होंगे।

कास्ट फैक्टर अहम

अध्ययन के अनुसार, जाति और समुदाय मतदाता पैटर्न से 2014 के चुनाव में अन्नाद्रमुक को फायदा हुआ था, जिसने 39 लोकसभा सीट में से 39 पर जीत दर्ज की थी, जिसमें से पार्टी ने 50 प्रतिशत थेवार और 60 प्रतिशत उदयार के वोट हासिल किए थे। पार्टी ने इसके अलावा 40 प्रतिशत वन्नियार, 44 प्रतिशत मुदलियार, 49 प्रतिशत ओबीसी और 42 प्रतिशत मुस्लिम वोट हासिल किए थे। पार्टी को ओबीसी मतों के एकजुट होने से फायदा हुआ था।

द्रमुक ने दूसरी तरफ सबसे ज्यादा समर्थन ऊंची जातियों (47 प्रतिशत), मुदलियार (34 प्रतिशत) और मुस्लिम (31 प्रतिशत) से प्राप्त किया था। वहीं, राज्य के कन्याकुमारी से एकमात्र सीट जीतने वाली भाजपा को पोन राधाकृष्णन ने जीत दिलाई थी। उन्होंने 1.26 लाख मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी। पार्टी को ईसाई मछुआरों और नादार जाति के अलावा सबसे ज्यादा थेवार और उदयार से 35-35 प्रतिशत वोट और वेनियार समुदाय से 40 प्रतिशत मत मिले थे।

तमिलनाडु में 7.21 करोड़ की आबादी

2011 की जनगणना के अनुसार, तमिलनाडु में 7.21 करोड़ की आबादी है, जिसमें 20.1 प्रतिशत अनुसूचित जाति (एससी) के लोग हैं। राज्य में कुल 5.86 करोड़ मतदाता हैं, जिसमें इसकी 18 प्रतिशत आबादी एससी की है, जोकि देश में सबसे ज्यादा है। यहां सात लोकसभा सीटें आरक्षित हैं। बड़े राज्यों में, तमिलनाडु में एससी आबादी में सबसे ज्यादा साक्षरता दर 73.3 प्रतिशत है। तमिलनाडु में थिरुवरुर, नीलगिरी, नागापट्टनम, पेरमबालु ऐसे जिले हैं, जहां एससी की आबादी 30-40 प्रतिशत से कम हैं। इसके अलावा दो जिलों विलुप्पुरम और कुद्दालोर में एससी आबादी 25-30 प्रतिशत से कम है।

टॅग्स :लोकसभा चुनावतमिलनाडु लोकसभा चुनाव 2019एआईडीएमकेद्रविड़ मुनेत्र कड़गम
Open in App

संबंधित खबरें

भारतराज्यसभा चुनाव: ये 8 प्रत्याशी चुने जाएंगे निर्विरोध?, तमिलनाडु और असम में चुनाव, उच्च सदन में कौन-कौन पहुंचेगा, देखिए लिस्ट

भारतRajya Sabha polls 2025: 2 राज्य, 8 सीट और 19 जून को चुनाव, कौन किस पर भारी, एनडीए को 4 और यूपीए को 4 सीट मिलने की संभावना

भारतTamil Nadu Vidhan Sabha elections 2026: भाजपा-एआईएडीएमके के बीच गठबंधन, चेन्नई में अमित शाह ने की घोषणा, देखें वीडियो

भारतLok Sabha polls: एनडीए को अगले आम चुनाव में 400 सीट?, केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा-विपक्ष की सीट कम होंगी, सामाजिक न्याय देने वाला बजट

भारतKallakurichi Hooch Tragedy: मरने वालों की संख्या बढ़कर 47, 100 से अधिक बीमार, तमिलनाडु विधानसभा में जमकर हंगामा, डीएमके और अन्नाद्रमुक में तकरार, देखें वीडियो

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई