सर्वे: यूसीसी पर मोदी सरकार को बड़ी राहत, अधिकांश मुस्लिम महिलाएं निकाह, तलाक, विरासत पर समान कानूनों के पक्ष में
By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: July 10, 2023 14:11 IST2023-07-10T13:49:33+5:302023-07-10T14:11:38+5:30
यूसीसी के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी सरकार को उस समय राहत मिलता हुआ दिखाई दिया, जब समाचार चैनल न्यूज18 द्वारा यूसीसी पर कराये गये एक वृहद सर्वेक्षण में 67.2 फीसदी मुस्लिम महिलाओं ने निकाह, तलाक और गोद लेने जैसे मामलों में समान कानून की वकालत की।

सर्वे: यूसीसी पर मोदी सरकार को बड़ी राहत, अधिकांश मुस्लिम महिलाएं निकाह, तलाक, विरासत पर समान कानूनों के पक्ष में
नयी दिल्ली: समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर नरेंद्र मोदी सरकार को उस समय राहत मिलता हुआ दिखाई दिया, जब समाचार चैनल न्यूज18 द्वारा यूसीसी पर कराये गये एक वृहद सर्वेक्षण में स्पष्ट हुआ है कि कम से कम 67.2 फीसदी मुस्लिम महिलाएं शादी, तलाक और गोद लेने जैसे मामलों के लिए समान कानून की पक्षधर हैं।
इस सर्वेक्षण में 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 8,035 से अधिक मुस्लिम महिलाओं ने भाग लिया। सर्वे में भाग लेने वाली लड़कियों/महिलाओं की उम्र 18 से 65 वर्ष के बीच थी। जिनका निवास देश के अलग-अलग हिस्सों में है और उनकी शैक्षिक योग्यता और वैवाहिक स्थिति भी भिन्न थी।
जानकारी के अनुसार जब इस सर्वे में मुस्लिम महिलाओं से पूछा गया कि क्या वे भारत में सभी नागरिकों के लिए समान कानूनों का समर्थन करती हैं, तो आश्चर्यजनक रूप से सर्वे में शमिल हुई 100 फीसदी महिलाओं में से 67.2 फीसदी महिलाओं ने इसका जवाब 'हां' में दिया।
वहीं 25.4 फीसदी महिलाओं ने समान कानून के सवाल को खारिज करते हुए, जवाब 'नहीं' में दिया। जबकि सर्वे में शामिल 7.4 फीसदी ऐसी भी मुस्लिम महिलाएं थीं, जिन्होंने इस सवाल के जवाब में कहा, 'पता नहीं या कह नहीं सकती।'
न्यूज 18 द्वारा कराये गये सर्वे में शैक्षिक योग्यता की बात करें तो सर्वे में शामिल 68.4 फीसदी या 2,076 ग्रेजुएट मुस्लिम महिलाओं ने कहा कि वे पूरी तरह से यूसीसी का समर्थन करती हैं, जबकि 27 फीसदी शैक्षिक महिलाओं ने कहा कि वो यूसीसी का समर्थन नहीं करती हैं।
इस बीच सर्वे में शामिल की गई आयु वर्ग की बात करें तो इस सवाल के जवाब में 18-44 आयु वर्ग की 69.4 फीसदी प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि वे यूसीसी के समर्थन में हैं और 24.2 फीसदी मुस्लिम महिलाओं ने कहा कि वे देश में सभी नागरिकों के लिए समान कानून नहीं चाहती हैं।
मालूम हो कि इस समय देशभर में यूसीसी को लेकर बहस चल रही है। यदि यूसीसी कानून की शक्ल लेता है तो इसका सीधा अर्थ होगा कि भारतीय नागरिकों पर उनके धर्म की परवाह किए बिना एक समान कानून लागू होगा। इस कानून के दायरे में विवाह, तलाक, गोद लेने और विरासत जैसे व्यक्तिगत मामलों शामिल होंगे।