दिल्ली में प्रदूषण के गंभीर स्तर और इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बीच जस्टिस अरुण मिश्रा ने ऑड-ईवन योजना को लेकर सवाल उठाये हैं। जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा- 'कारें कम प्रदूषण करती हैं। आप (दिल्ली) इस ऑड-ईवन से क्या हासिल कर रहे हैं।'
जस्टिस अरुण मिश्रा ने साथ ही दिल्ली सरकार से कहा, 'ऑड-ईवन के पीछे क्या सोच है? डीजल गाड़ियों को बैन करने की बात हम समझ सकते हैं लेकिन ऑड-ईवन योजना के पीछे क्या मत है।'
जस्टिस अरुण मिश्रा ने ये भी कहा कि कोर्ट राज्यों, मुख्य सचिवों, ग्राम प्रधान, स्थानीय अधिकारियों, पुलिस को भी समन भेजेगी जो पराली जलाने की घटना को नहीं रोक सके, उन्हें उनके पद से हटाया जाना चाहिए।
दिल्ली में प्रदूषण पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पराली जलाये जाने की घटनाओं को भी गंभीरता से लिया और कहा कि हर साल निरंकुश तरीके से ऐसा नहीं हो सकता। पीठ ने स्थिति की गंभीरता पर चिंता व्यक्त की और सवाल किया, 'क्या इस वातावरण में हम जीवित रह सकते हैं? यह तरीका नहीं है जिसमें हम जीवित रह सकते हैं।'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'दिल्ली हर साल चोक होती जा रही है और हम कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं। हर साल ये हो रहा है और ये 10 से 15 दिनों तक कायम रहता है। ऐसा सभ्य देशों में नहीं होता।'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'ये चीजें हर साल हमारी नाक के नीचे हो रही हैं। लोगों को दिल्ली नहीं आने या दिल्ली छोड़ने की सलाह दी जा रही है। राज्य सरकारें जिम्मेदार हैं। लोग उनके राज्य और पड़ोसी राज्यों में मर रहे हैं। हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते। हम हर चीज का मजाक बना रहे हैं।'