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पाक-चीन सीमा पर गरजे सुखोई और राफेल, अरुणाचल-सिक्किम सेक्टर में सेना ने भी शुरू किया युद्धाभ्यास, भारी हथियारों के साथ परखी जा रही है तैयारी

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: September 5, 2023 11:37 IST

यह अभ्यास 4 से 14 सितंबर तक होगा। अभ्यास में राफेल, मिराज 2000 और Su-30MKI लड़ाकू विमानों के अलावा चिनूक और अपाचे सहित भारी-भरकम परिवहन विमान और हेलिकॉप्टर भी भाग ले रहे हैं। दूसरी तरफ अरुणाचल-सिक्किम सेक्टर में भारतीय सेना ने भी तेजी से हमला करने का अभ्यास किया।

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ठळक मुद्दे भारतीय वायुसेना ने एक प्रमुख युद्ध प्रशिक्षण अभ्यास शुरू कियाउत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में चीन-पाकिस्तान से लगी सीमा पर हो रहा है अभ्यासभारतीय सेना ने भी अरुणाचल-सिक्किम सेक्टर में तेजी से हमला करने का अभ्यास किया

नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना ने सोमवार को उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में चीन-पाकिस्तान से लगी सीमा पर एक प्रमुख युद्ध प्रशिक्षण अभ्यास शुरू किया। इस अभ्यास में लड़ाकू विमानों से सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से दुश्मन के टारगेट को नष्ट करने का अभ्यास किया गया। राफेल, सुखोई और मिराज जैसे वायुसेना के अग्रिम मोर्चे के विमान इस अभ्यास में हिस्सा ले रहे हैं।

दूसरी तरफ भारतीय सेना की  इकाइयों ने भी पूर्वी लद्दाख, और अरुणाचल-सिक्किम सेक्टर में पहाड़ों की ऊंचाइयों पर तेजी से हमला करने का अभ्यास किया। ये अभ्यास ऐसे समय हो रहा है जब भारत जी20 समिट की मोजबानी करने वाला है और नई दिल्ली में दुनिया के बड़े देशों के दिग्गज नेता जुटने वाले हैं।

 भारतीय वायु सेना ने इस युद्ध प्रशिक्षण अभ्यास को  'त्रिशूल' नाम दिया है। माना जा रहा है कि ये अभ्यास चीन और पाकिस्तान के खतरे से एक साथ निपटने की तैयारियों को मद्देनजर रखते हुए किया जा रहा है। यह अभ्यास 4 से 14 सितंबर तक होगा। अभ्यास में राफेल, मिराज 2000 और Su-30MKI  लड़ाकू विमानों के अलावा चिनूक और अपाचे सहित भारी-भरकम परिवहन विमान और हेलिकॉप्टर भी भाग ले रहे हैं। वायुसेना के विशेष कमांडो गरुण भी इस अभ्यास में हिस्सा ले रहे हैं।

'त्रिशूल' अभ्यास वायु सेना की पश्चिमी वायु कमान (डब्ल्यूएसी) के नेतृत्व में हो रहा है। इसी कमान के पास लद्दाख से लेकर राजस्थान तक फैले एक विशाल क्षेत्र की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। रक्षा सूत्रों ने बताया कि 10 दिवसीय अभ्यास का उद्देश्य समग्र युद्ध तैयारी की जाँच करना है। राफेल, जगुआर, मिग-29 और सुखोई-30एमकेआई जैसे लड़ाकू विमानों और सी-130जे और सी-17 जैसे परिवहन विमानों से लेकर एस-400, एमआर-एसएएमएस और आकाश जैसे सतह से हवा में मार करने वाले निर्देशित हथियारों तक सभी हथियारों को वार्षिक अभ्यास के लिए तैनात किया गया है।

फिलहाल सेना की दो विशिष्ट माउंटेन स्ट्राइक कोर (1 कोर और 17 कोर) चीन सीमा पर किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयारी कर रही हैं। प्रत्येक माउंटेन स्ट्राइक कोर में 70,000 सैनिक होते हैं। ये उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र में युद्ध के लिए भारी हथियार से लैस हैं। सेना की 1 कोर और 17 कोर की इकाइयां हर गर्मियों में पूरी 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनाती करती हैं और अभ्यास करती हैं। सेना की 1 कोर जिसका मुख्यालय मथुरा में है, अब एलएसी के उत्तरी क्षेत्र में तैनात है। वहीं 17 कोर (पानागढ़) सिक्किम के सामने चुम्बी घाटी सहित पूर्वी क्षेत्र में स्ट्राइक भूमिका निभाने के लिए तैनात है। पहले इसे पाकिस्तान से लगती सीमा पर तैनात किया गया था।

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