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देश का पहला एंटी-रेडिएशन मिसाइल 'रूद्रम' का हुआ सफल परीक्षण, वायु सेना की इस वजह से बढ़ी ताकत

By अनुराग आनंद | Updated: October 9, 2020 14:53 IST

मिल रही जानकारी के मुताबिक, इस मिसाइल को सुखोई फाइटर एयरक्राफ्ट से लांच किया गया है।

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ठळक मुद्देभारतीय वायु सेना की ताकत इसलिए बढ़ गई है क्योंकि रूद्रम' अपने तरह की एक अलग मिसाइल है।लड़ाकू विमानों मिराज 2000, जगुआर, तेजस और तेजस मार्क 2 को भी इस मिसाइल से लैस किया जा सकता है।

नई दिल्ली:चीन के साथ सीमा पर जारी विवाद के बीच आज (शुक्रवार) भारत ने एंटी-रेडिएशन वाली मिसाइल 'रूद्रम' का सफल परीक्षण किया। यह देश की पहली स्वदेशी एंटी-रेडिएशन मिसाइल है जिसे DRDO ने वायुसेना के लिए विकसित किया है।

मिल रही जानकारी के मुताबिक, इस मिसाइल को सुखोई फाइटर एयरक्राफ्ट से लांच किया गया। इसके बाद इस मिसाइल ने सफलता पूर्वक भारतीय वैज्ञानिकों के अनुमान मुताबिक प्रदर्शन किया है। 

इस मिसाइल के सफनता पूर्वक लांच होने के बाद भारतीय वायु सेना की ताकत इसलिए बढ़ गई है क्योंकि रूद्रम' अपने तरह की एक अलग मिसाइल है। लड़ाकू विमानों मिराज 2000, जगुआर, तेजस और तेजस मार्क 2 को भी इस मिसाइल से लैस किया जा सकता है। ऐसे में साफ है कि इसके तैयार हो जाने से दुश्मन देश के मंसूबों पर पानी फेरने के मामले में भारतीय वायुसेना एक कदम और आगे निकल गया है। 

एंटी रेडिएशन मिसाइल क्या होती है?

डीआरडीओ एंटी रेडिएशन मिसाइल (DRDO Anti-Radiation Missile) रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा विकसित की जा रही एंटी रेडिएशन मिसाइल है। यह भारत की पहली एंटी रेडिएशन मिसाइल है। यह मिसाइल दुश्मन के राडार व ट्रांसिमट सिग्नलों को खराब कर देती है। जिससे दुश्मन अपनी राडार व ट्रांसिमट सिग्नलों की क्षमता खो देता है। वर्तमान में यह टेक्नोलॉजी सिर्फ अमेरिका, रूस और जर्मनी के पास है। यही वजह है कि इस सफलता से वायु सेना की ताकत कई गुणा बढ़ जाएगी। 

भारत के लिए काफी अहम है यह मिसाइल-

इस मिसाइल की टेस्टिंग के बाद भारतीय वायु सेना की सामरिक क्षमता में और इजाफा हो गया है। दुश्मन की वायु रक्षा व्यवस्था को नष्ट करने के उद्देश्य से बनाई गई यह मिसाइल अलग-अलग ऊंचाई वाली जगहों से दागी जा सकती है।

इससे पहले बीते सोमवार को भारत ने ओडिशा तट के ह्वीलर द्वीप से सुपरसोनिक असिस्टेड रिलीज ऑफ टॉरपीडो (एसएमएआरटी) का सफल परीक्षण किया। टॉरपीडो के रेंज से बाहर एंटी सबमरीन वॉरफेयर (एएसडब्बल्यू) अभियान में यह मिसाइल काफी उपयोगी साबित होगी। सीमा पर चीन के साथ जारी तनाव के बीच इन मिसाइलों की टेस्टिंग काफी अहम मानी जा रही है।

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