दिल्ली: केजरीवाल सरकार ने घोषणा की है कि स्कूलों में अब उन्हीं बच्चों को मिड डे मील दिया जाएगा जिसकी 100 फीसदी अटेंडेंस स्कूल के रजिस्टर में दर्ज होगी।
दिल्ली में कोरोना प्रतिबंधों के कारण छात्रों को घर पर ही स्कूलों में पके हुए मिड डे मील की बजाय सूखा राशन दिया जा रहा था। इस मामले में दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि फिलहाल दिल्ली के स्कूलों में छात्रों की 50 फीसदी अटेंडेंस दर्ज की जा रही है।
अधिकारियों का कहना है कि यही कारण है कि पका हुआ मिड डे मील नहीं दिया जा रहा है क्योंकि इसका लाभ सभी 100 फीसदी छात्रों को नहीं मिलेगा। इसलिए जैसे ही स्कूलों में छात्रों के अटेंडेंस रजिस्टर 100 फीसदी भरने लगेंगे, स्कूलों में पका हुआ मिड डे मील दिया जाने लगेगा।
दरअसल इस मामले में दिल्ली सरकार को इसलिए बयान जारी करना पड़ा क्योंकि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 14 फरवरी से पहली से लेकर आठवीं तक के बच्चों की भी सामान्य कक्षाएं शुरू होने के बावजूद स्कूलों में पका हुआ मिड डे मील नहीं दिए जा रहा था। जिसे लेकर ‘दिल्ली रोजी-रोटी अधिकार अभियान' नाम के संगठन ने दिल्ली सरकार और तीन नगर निगमों को कानूनी नोटिस भेजा था।
जानकारी के मुताबिक पिछले 17 महीनों से स्कूलों में मिड डे मील के रूप में कथित तौर पर सूखा राशन आवंटित नहीं करने के लिए दिल्ली सरकार के अलावा तीनों नगर निगम को भी नोटिस जारी किया गया था।
दिल्ली सरकार और तीनों नगर निगम को भेजे गये कानूनी नोटिस में आरोप लगाया गया है कि दिल्ली सरकार खाद्यान्न वितरण के लिए एक निश्चित समय-सारणी बनाने में विफल रही, जिसकी वजह से छात्रों को न तो सूखा राशन मिल पा रहा है और न ही मासिक आधार पर कोई खाद्य सुरक्षा भत्ता ही दिया जा रहा है।
‘दिल्ली रोजी-रोटी अधिकार अभियान' का आरोप है कि सरकार द्वारा मिड डे मील न देकर बच्चों और छात्रों को उनके "वैधानिक अधिकार" से वंचित किया गया है।