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येदियुरप्पा, विजय रूपाणी के भविष्य को लेकर अटकलें, कुर्सी खतरे में! भाजपा आलाकमान की नजरें उपचुनावों के नतीजे पर

By हरीश गुप्ता | Updated: October 23, 2020 07:18 IST

कर्नाटक में बी.एस. येदियुरप्पा पिछले कुछ समय से नेताओं और कार्यकर्ताओं का विरोध झेल रहे हैं. वहीं गुजरात में विजय रूपाणी भी निशाने पर हैं. ऐसे में बीजेपी यहां बड़े बदलाव कर सकती है.

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ठळक मुद्दे 3 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के बाद तय होगा येदियुरप्पा और रूपाणी का भविष्यगुजरात में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं, विजय रूपाणी का विकल्प तलाशने में जुटी बीजेपी

नई दिल्ली: भाजपा शासित दो राज्यों में अलग-अलग कारणों से मुख्यमंत्रियों के भविष्य को लेकर अटकलें लगनी शुरू गई हैं. पार्टी आलाकमान को इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के खिलाफ रिपोर्ट मिल रही हैं. एक तरफ बी.एस. येदियुरप्पा, कर्नाटक में पार्टी के कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं का विरोध झेल रहे हैं. 

वहीं गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी मसलों और समस्याओं को हल करने के तरीके को लेकर निशाने पर हैं.सूत्रों का कहना है कि येदियुरप्पा और रूपाणी का भविष्य इन राज्यों में 3 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के बाद तय हो सकता है.

गुजरात में आठ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव

गुजरात की अब्दासा, लिम्बदी, मोरबी, धारी, कर्जन, डांग और कारपाड़ा समेत आठ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराए जाने हैं. ये सीटें कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे की वजह से खाली हुई हैं.

रूपाणी के सामने इन सीटों पर भाजपा का परचम लहराने की चुनौती है. यदि वे ऐसा नहीं कर पाए तो भाजपा आलाकमान उनके विकल्प की तलाश शुरू कर सकता है.

राज्य में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में यह तय नहीं है कि भाजपा रूपाणी के नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतरेगी या नहीं. राज्य के नौपरिवहन मंत्री मनसुखभाई मांडविया का नाम मुख्यमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार के रूप में सामने आया है.

कर्नाटक में भी गुजरात जैसी स्थिति

ऐसी ही स्थिति कर्नाटक में भी दिखाई दे रही है. यहां भी 2 विधानसभा सीटों के लिए 3 नवंबर को उपचुनाव होंगे. येदियुरप्पा 77 वर्ष के हो गए हैं. कहा जा रहा है कि वे आलाकमान के उस निर्देश का पालन करने के लिए तैयार हो गए हैं कि पार्टी की नीति के तहत कोई भी नेता 75 वर्ष का हो जाने के बाद सक्रिय पद ग्रहण नहीं करेगा.

येदियुरप्पा का स्थान उपमुख्यमंत्री गोविंद एम. करजोल ले सकते हैं, जो अनुसूचित जाति से संबंधित हैं. राज्य के ताकतवर लिंगायत समुदाय को भी उन्हें लेकर परेशानी नहीं है.

सूत्रों के अनुसार येदियुरप्पा को भरोसा दिलाया गया है कि यदि सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी तो उनके दो बेटों में से एक को सरकार में महत्वपूर्ण पद दिया जाएगा. येदि के छोटे बेटे विजयेंद्र राज्य की राजनीति में सक्रिय हैं, जबकि बड़े बेटे राघवेंद्र शिवमोगा सीट से लोकसभा सांसद हैं.

टॅग्स :भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)बीएस येदियुरप्पाविजय रुपानीकर्नाटकगुजरात
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