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संजय सिंह ने 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' को कहा 'चुनावी जुमला', बोले- "भाजपा का चरित्र नारी विरोधी है"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: September 21, 2023 14:22 IST

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने मोदी सरकार द्वारा लाये गये महिला आरक्षण विधेयक पर तंज कसते हुए उसे 'महिला विरोधी' करार दिया है।

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ठळक मुद्देआप नेता संजय सिंह ने महिला आरक्षण विधेयक पर तंज कसते हुए उसे 'महिला विरोधी' करार दियासंजय सिंह ने कहा कि ये महिलाओं की भलाई के लिए नहीं है, ये तो भाजपा का 'चुनावी जुमला' हैसत्तारूढ़ भाजपा की आलोचना करते हुए संजय सिंह ने कहा कि यह महिला विरोधी बिल है

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने मोदी सरकार द्वारा लाये गये महिला आरक्षण विधेयक पर तंज कसते हुए उसे 'महिला विरोधी' करार दिया है। आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि ये महिलाओं की भलाई के लिए नहीं है, ये तो भाजपा का 'चुनावी जुमला' है, जिसे उन्होंने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले बहुत हड़बड़ी में पेश किया है।

सांसद संजय सिंह ने लोकसभा में पास हो चुके बिल को गुरुवार को राज्यसभा में पेश होने से पहले सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की आलोचना की और दावा किया कि भाजपा का असली चरित्र महिला विरोधी है।

उन्होंने महिला बिल को चुनावी शगूफा बताते हुए कहा, "यह महिला बिल बीते 20-25 सालों से लंबित था और सच्चाई यह है कि आने वाले 20-25 सालों में भी इसे लागू नहीं किया जाएगा। इस बिल में जानबूझकर एक धारा डाली गई है कि पहले जनगणना होगी, फिर उसके बाद चुनाव आयोग निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करेगा और उसके बाद जाकर महिलाओं को आरक्षण दिया जाएगा।"

समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए आप सांसद ने कहा, "अगर उनकी मंशा संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने की है तो वो इसे 2024 के चुनावों में लागू करें। यह महिलाओं के लिए आरक्षण का नहीं बल्कि उन्हें मूर्ख बनाने का विधेयक है। असली चरित्र बीजेपी महिला विरोधी है और यह बिल सिर्फ एक चुनावी 'जुमला' है।''

आप सांसद संजय सिंह ने इन आरोपों के पूर्व एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने भी मोदी सरकार द्वारा लोकसभा में पारित कराये गये नारी शक्ति वंदन विधेयक की जबरदस्त आलोचना करते हुए उसे "पोस्ट-डेटेड चेक" करार दिया था।

बारामती से सांसद सुप्रिया सुले ने महिला बिल का समर्थन करते हुए कहा, "हम इसका पुरजोर समर्थन कर रहे हैं। लेकिन यह एक पोस्ट-डेटेड चेक की तरह है क्योंकि न तो अबी तक जनगणना हुई है और न ही चुनाव आयोग द्वारा परिसीमन हुआ है। जब तक ये दोनों नहीं हो जाते, इसे लागू नहीं किया जा सकता है। शायद यह 2029 में लागू होगा, कौन जानता है?"

वहीं विपक्षी नेताओं के इन आरोपों के उलट केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इसे महिलाओं के प्रगति के लिए एक बड़ा कदम बताते हुए गुरुवार को महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में चर्चा के लिए पेश किया।

कानून मंत्री मेघवाल ने राज्यससभा में कहा, "मैं आज जो संविधान संशोधन विधेयक लेकर आया हूं, उसके माध्यम से अनुच्छेद 330, अनुच्छेद 332 और अनुच्छेद 334 में एक खंड जोड़ा जाएगा। इनके माध्यम से लोकसभा और देश की सभी राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएंगी। यह एक बड़ा कदम है।"

मालूम हो कि 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' मंगलवार को नए संसद भवन में स्थानांतरित होने के बाद विशेष सत्र के दौरान लोकसभा द्वारा पारित पहला विधेयक है। यह विधेयक मंगलवार को नए संसद भवन में सदन की पहली बैठक में लोकसभा में पेश किया गया। संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र सोमवार को शुरू हुआ और शुक्रवार को समाप्त होगा।

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