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फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों को गणतंत्र दिवस समारोह के लिए भेजा गया निमंत्रण, जानिए दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों के बारे में

By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: December 22, 2023 2:02 PM

अगर मैनुअल मैक्रों निमंत्रण स्वीकार करते हैं तो यह छठी बार होगा जब कोई फ्रांसीसी नेता राष्ट्रीय राजधानी में गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होगा। भारत और फ्रांस के रिश्ते लंबे समय से बेहद अच्छे हैं।

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ठळक मुद्देफ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि हो सकते हैंमैक्रों को गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गयाइसी साल पीएम मोदी बैस्टिल डे परेड में शामिल होने के लिए फ्रांस गए थे

नई दिल्ली: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों इस बार 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि हो सकते हैं। समारोह से जुड़े लोगों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। भारत ने इस अवसर पर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को आमंत्रित किया था लेकिन उन्होंने जनवरी में नयी दिल्ली की यात्रा करने में असमर्थता जतायी। सूत्रों ने बताया कि फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों को गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया है। 

अगर मैनुअल मैक्रों निमंत्रण स्वीकार करते हैं तो यह छठी बार होगा जब कोई फ्रांसीसी नेता राष्ट्रीय राजधानी में गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होगा। मैक्रॉन से पहले, पूर्व फ्रांसीसी प्रधान मंत्री जैक्स शिराक 1976 और 1998 में भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि थे, और पूर्व राष्ट्रपति वालेरी गिस्कार्ड डी-एस्टिंग, निकोलस सरकोजी और फ्रेंकोइस ओलांद क्रमशः 1980, 2008 और 2016 में मुख्य अतिथि थे।

भारत और फ्रांस के रिश्ते लंबे समय से बेहद अच्छे हैं। इसी साल पीएम मोदी बैस्टिल डे परेड में शामिल होने के लिए फ्रांस गए थे। राष्ट्रपति मैक्रॉन के निमंत्रण पर पीएम मोदी ने बैस्टिल दिवस समारोह में सम्मानित अतिथि के रूप में भाग लिया।

भारत और फ्रांस के कई अहम समझौते भी हैं। दोनों देश सैन्य मामलों में भी एक दूसरे के सहयोगी हैं। भारत ने जब साल  1998 में पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था तब अमेरिका, जापान, जर्मनी, ब्रिटेन सहित सारी दुनिया के विभिन्न देश भारत के खिलाफ खड़े हो गए थे लेकिन फ्रांस भारत से साथ खड़ा रहा। तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति जैक शिराक ने कहा था कि एशिया की उभरती हुई महाशक्तियों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

फ्रांस सत्तर के दशक से ही ऊर्जा, एयरोस्पेस, सुरक्षा उद्योग में भारत का सहयोगी रहा है। फ्रांस ने भारत को 1974 में अपना पहला परमाणु परीक्षण करने में मदद की। फ्रांस से पहली बार मिराज 2000 विमान खरीदे गए। 2005 में छह स्कार्पियन श्रेणी की पनडुब्बियां खरीदी गई। 2015 में 36 रफाल लड़ाकू विमानों का सौदा हुआ। हाल ही में नौसेना के लिए 26 राफेल-मरीन फाइटर जेट्स और तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का सौदा भी किया गया है। 

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