रामपुरःसमाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव ने बुधवार को रामपुर जाकर पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान से मुलाक़ात की. यूपी की राजनीति में आजम खान और अखिलेश यादव की 23 महीने बाद हुई यह मुलाक़ात कई मायने में बेहद खास रही है. इस मुकालत में अखिलेश यादव ने यह साफ संदेश दिया कि पार्टी में आजम खान का महत्वपूर्ण स्थान है और उनकी सलाह को माना जाएगा. वही दूसरी तरफ जिस तरफ से आजम खान ने जौहर यूनिवर्सिटी जाकर अखिलेश यादव का स्वागत किया, उससे उन लोगों की बोलती बंद हो गई जो अखिलेश यादव से उनके नाराज होने के किस्से सुना रहे थे. अखिलेश यादव रामपुर में आजम खान के घर पर करीब ढाई घंटे रहे. चर्चा है कि आजम खान की पत्नी तंजीन, बेटा अब्दुल्ला आजम और परिवार का कोई सदस्य अखिलेश यादव से नहीं मिला.
इस दौरान उन्होने तमाम मुद्दों को लेकर आजम खान से चर्चा की. उनके परिवार के साथ खाना खाया. इसके बाद आजम खान की मौजूदगी में मीडिया से अखिलेश यादव ने आजम खान को सपा का दरख्त बताया और कहा कि आजम खान सपा के सबसे पुराने नेताओं में से एक हैं. आगे भी इस प्रकार से उनके साथ मुलाकातें और बैठकों का दौर जारी रहेगा.
आजम खान के खिलाफ आजम खान के परिवार को परेशान किया गया. उनके खिलाफ फर्जी केस दर्ज किए गए हैं. सपा की सरकार बनाने पर आजम खान के खिलाफ दर्ज किए गए केस खत्म किए जाएंगे. रामपुर के सांसद मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी के वहां ना होने को लेकर भए सवाल पूछा गया, लेकिन अखिलेश यादव ने इसका जवाब नहीं दिया.
इसके बाद पत्रकारों ने अखिलेश से सांसद मौलाना नदवी को लेकर कोई सवाल नहीं किया. और आजम खान से हुई बातचीत को लेकर सवाल पूछा, जिसका जवाब भी अखिलेश और आजम खान ने नहीं दिया. लेकिन दोनों नेताओं के रामपुर के सांसद मौलाना नदवी को लेकर साधी गई चुप्पी से यह संकेत मिल गया कि अब सपा में आजम खान के चलते सांसद मौलाना नदवी की रही कठिन होने वाली है.
इसलिए कठिन होगी मौलाना नदवी की राह
रामपुर के सांसद मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी से आजम खान खफा है. इसकी वजह है, उनका वह बयान जिसमें उन्होंने आजम खान जेल जाने को लेकर यह कहा था कि आजम साहब सुधार गृह में हैं. कहा जाता है कि बीते लोकसभा चुनाव के समय आजम खान चाहते थे कि अखिलेश यादव रामपुर से चुनाव लड़ें,
लेकिन अखिलेश यादव ने उनकी बात नहीं मानी और मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी को चुनाव मैदान में उतार दिया. मौलाना नदवी चुनाव जीत गए और जीतने के बाद जेल में आजम खान से मिलने तक नहीं गए. जबकि रामपुर के लोगों ने 10 बार आजम खान को चुनाव जीतकर विधानसभा में भेजा. यही वजह है कि जब मंगलवार को आजम खान से मौलाना नदवी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि वह उन्हें नहीं जानते और ना ही वह उनसे मिलेंगे. अखिलेश यादव के साथ भी मौलाना के आने का कोई कोई कार्यक्रम नहीं है.
अखिलेश यादव मुझसे मिलेंगे और मैं केवल उनसे ही मिलूंगा. आजम खान की इस टिप्पणी के बाद अखिलेश यादव ने भी मौलाना नदवी से दूरी बना ली. हालांकि मौलाना नदवी बरेली में अखिलेश यादव से मिले थे, लेकिन अखिलेश यादव उन्हे रामपुर लेकर नहीं आए.
इसलिए लिए आजम है अखिलेश के लिए खास
कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव यह नहीं चाहते कि आजम खान नाराज हो क्योंकि आजम खान पार्टी के मुस्लिम चेहरा है. उनके नाम पर मुस्लिम समाज सपा को वोट करता है. वह जेल में रहे या जेल के बाहर वह सपा के सीनियर नेता और सासे बड़े मुस्लिम लीडर हैं. कहने को तो सपा में 34 मुस्लिम विधायक हैं लेकिन मुस्लिम समाज पर आजम खान की पकड़ ही सबसे मजबूत है.
इसलिए अखिलेश यह नहीं चाहते कि आजम खान नाराज हों और पार्टी के पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) समीकरण गडबडाएं. इसकी लिए बुधवार को मौलाना नदवी को आजम खान से मुलाक़ात के दौरान दूर रखा गया और अब आगे भी ऐसा ही होगा क्योंकि आजम खान अभी मौलाना नदवी को माफ करने के मूड में नहीं हैं.
जिस तरह से आजम खान ने रामपुर में बुधवार को अपना दबदबा दिखाकर अखिलेश यादव का स्वागत किया है. उसे लोग याद कर रहे हैं. इसी रामपुर में आजम खान ने मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन बहुत ही भव्य तरीके से मनाया था. बुधवार को भी जब अखिलेश यादव का हेलीकॉप्टर मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय परिसर में उतरा, तो आजम खान ने उनकी अगवानी की.
उसके बाद आजम अखिलेश यादव को लेकर अपने घर आए. अखिलेश यादव ने उसके घर पर आजम खान के परिवार के साथ खाना खाया और राजनीतिक तथा पारिवारिक चर्चा भी की. अखिलेश यादव और आजम खान की इस कमेस्ट्री को देख कर ही यह दावा किया जा रहा ही अखिलेश अब आजम खान के सम्मान को बढ़ाने के लिए मौलाना नदवी को महत्व देना कम करेंगे.