पश्चिम बंगाल में स्थित रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण आश्रम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक ठोस कदम उठाने जा रहा है. आश्रम ने अपनी दशकों से जारी परंपरा को तोड़ने का फैसला किया है. आश्रम में श्री रामकृष्ण के जन्मदिवस पर पटाखे जलाने की परंपरा थी जिसे मठ ने इस वर्ष से बंद करने का फैसला किया है.
रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण आश्रम की स्थापना की थी. रामकृष्ण परमहंस को अल्प आयु में ही आध्यात्मिक सुख की अनुभूति होने लगी थी. और उन्हें काली का उपासक माना जाता है जिनके जन्मदिवस के उपलक्ष्य में रामकृष्ण मठ में पटाखे जलाने की परंपरा चली आ रही थी.
रामकृष्ण आश्रम में पटाखे जलाने का कार्यक्रम 17 मार्च को उत्सव के अंतिम दिन होने वाला था. लेकिन आश्रम ने पर्यावरण का ख्याल करते हुए इस परंपरा को ही बंद करने का फैसला किया है. द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक यह फैसला आश्रम ने पर्यावरण को लेकर जागरूकता फैलाने के मकसद से ली है.
बीते साल ही एनजीटी ने ममता बनर्जी की सरकार पर 5 करोड़ का जुर्माना लगाया था क्योंकि सरकार कोलकाता और हावरा के वायु की गुणवत्ता सुधारने में विफल रही थी.
रामकृष्ण परमहंस (1836-1886) के जन्म शताब्दी को मनाने के दौरान आरती, हवन और आश्रम के सन्यासियों द्वारा वैदिक चैंटिंग की जाती है. इसके पहले हुगली नदी के किनारे शाम में पटाखे जलाये जाते थे लेकिन इसे अब बंद कर दिया जायेगा.
रामकृष्ण मिशन का आश्रम हुगली नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है. यह 40 एकड़ में फैला ये आश्रम शानदार आर्किटेक्चर का नायाब नमूना है.
वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल 10 लाख लोगों की मौत वायु प्रदूषण के कारण हो रहा है. दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में 7 भारत में है. रामकृष्ण मिशन आश्रम ने इस दिशा में एक सराहनीय कदम उठाया है.