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Locust attack: फिर हमला कर सकते हैं टिड्डी दल, ड्रोन से करेंगे मुकाबला, 60 और मशीनें खरीदी

By भाषा | Updated: June 9, 2020 14:42 IST

देश के कई राज्य में टिड्डियों ने हमला किया। ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि ये फिर से हमला कर सकते हैं। राजस्थान सरकार ने इस के लिए 60 मशीनें की व्यवस्था की है। इस बार ड्रोन से मुकाबला किया जाएगा।

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ठळक मुद्देगठन (एलडब्ल्यूओ) के उपनिदेशक के एल गुर्जर कहते हैं,'‘जून के आखिर और जुलाई की शुरुआत में टिड्डी दल फिर आ सकते हैं।अधिकारियों को चिंता है कि अरब सागर से उठने वाली मानसूनी हवाओं के साथ करोड़ों की संख्या में टिड्डियां भारत पर हमला कर खरीफ की फसलों को तबाह कर सकती हैं।इसकी पूरी आशंका है कि अफ्रीकी देशों से टिड्डी दल अरब सागर से उठने वाली मानसूनी हवाओं के साथ भारत की ओर आएंगे।

जयपुरः टिड्डी चेतावनी संगठन में इन दिनों जोर शोर से तैयारियां चल रही हैं। बीस से ज्यादा ड्रोन की एक टीम पहली बार तैयार की गयी है तो दवा छिड़कने की 60 और मशीनें (व्हीक्ल माउंटेड स्प्रेयर) खरीदी जा रही हैं। यह सारी तैयारी टिड्डी दलों के भावी हमलों से निपटने के लिए है।

अधिकारियों को चिंता है कि अरब सागर से उठने वाली मानसूनी हवाओं के साथ करोड़ों की संख्या में टिड्डियां भारत पर हमला कर खरीफ की फसलों को तबाह कर सकती हैं। संगठन (एलडब्ल्यूओ) के उपनिदेशक के एल गुर्जर कहते हैं,'‘जून के आखिर और जुलाई की शुरुआत में टिड्डी दल फिर आ सकते हैं।

इसकी पूरी आशंका है कि अफ्रीकी देशों से टिड्डी दल अरब सागर से उठने वाली मानसूनी हवाओं के साथ भारत की ओर आएंगे।'’ उन्होंने 'पीटीआई भाषा' से कहा कि गर्मी और बारिश का मौसम टिड्डी दलों के लिए अनुकूल होता है और वे इसी दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाते हैं।

उन्होंने कहा कि यहां स्थान से मतलब एक देश से दूसरे देश भी कहा जाता सकता है क्योंकि ये दल एक एक दिन में डेढ़ सौ किलोमीटर तक दूरी तय कर लेते हैं। उल्लेखनीय है कि इस साल मई में भी भारत टिड्डी दलों के हमले का सामना कर चुका है जो पहली बार खेतों व रेतीलों धोरों के साथ साथ जयपुर जैसे शहरों तक पहुंच गया था।

पहली बार ये टिड्डियां पंजाब, मध्य प्रदेश व दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों तक पहुंची

गुजरात व राजस्थान के साथ साथ पहली बार ये टिड्डियां पंजाब, मध्य प्रदेश व दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों तक पहुंची क्योंकि उस दौरान रबी की कटाई के बाद खेत लगभग खाली थे और भोजन की तलाश में ये दल आगे बढ़ते गए। अधिकारी अब ज्यादा चिंतित इसलिए भी हैं क्योंकि इन दिनों खरीफ की बुवाई चल रही है। इस महीने के आखिर या बाद में अगर टिड्डियां आती हैं तो वे तो खरीफ की फसलों को शुरू में ही तबाह कर सकती हैं। गुर्जर कहते हैं कि संगठन अपने स्तर पर पूरी तैयारी कर रहा है।

पहली बार टिड्डी दलों का मुकाबला करने के लिए 25 ड्रोन की एक टीम तैयार जा रही है जो एक दो दिन में तैयार हो जाएगी। इसका इस्तेमाल दवा छिड़काव में किया जाएगा। इसके अलावा संगठन को 60 और व्हीक्ल माउंटेड स्प्रेयर इस महीने के आखिर तक मिल जाएंगे। वहीं टिड्डियों के हमले से सबसे अधिक प्रभावित राजस्थान में सरकार ने भी तैयारियां शुरू कर दी हैं। राज्य के कृषि आयुक्त डा ओमप्रकाश ने 'पीटीआई भाषा' से कहा कि संयुक्त राष्ट्र के खाद्य व कृषि संगठन का यह पूर्वानुमान है कि टिड्डी दल आएंगे इसलिए हमने पूरी तैयारी कर रखी है।

लगभग 800 ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रेयर तो पहले ही इस्तेमाल किए जा रहे थे जबकि अब जिला कलेक्टरों को अधिकृत किया गया है वे जरूरत के हिसाब से ऐसे और वाहन लें । उन्होंने कहा कि टिड्डी दलों पर काबू पाने व उन्हें भगाने के काम के लिए संसाधनों की कोई कमी नहीं है। राज्य सरकार लगभग साढ़े छह करोड़ रुपये पहले ही जिलों को दे चुकी है। विभाग ने लगभग चार करोड़ रुपये और मांगे हैं। उल्लेखनीय है कि सरकार ने आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) से 100 अग्निशमन वाहन खरीदने का फैसला किया है जिनका इस्तेमाल भी टिड्डी नियंत्रण में किया जा सकता है।

पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ बैठक में राज्य के कृषि मंत्री लालचन्द कटारिया ने माना कि आने वाले दिनों में बड़ी संख्या में टिड्डी दल राजस्थान आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि अफ्रीकी देशों में बड़ी संख्या में टिड्डियों का प्रजनन हो रहा है। बड़ी संख्या में इन दलों के राजस्थान पहुंचने की आशंका है। ऐसे में इनसे निपटने के लिए जिलावार रणनीति बनानी होगी।

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