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मानहानि मामले में गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ कांग्रेस कार्यकर्ताओं का दिल्ली, राजस्थान और बिहार में प्रदर्शन

By अनिल शर्मा | Updated: July 7, 2023 14:02 IST

राहुल गांधी ने 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान टिप्पणी की थी कि ‘‘सभी चोरों का समान उपनाम मोदी ही क्यों होता है?’’ इस टिप्पणी को लेकर विधायक ने गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया था।

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ठळक मुद्देकांग्रेस अब गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की योजना बनाई है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) महासचिव (संगठन) के सी वेणुगोपाल ने कहा कि हमारे पास सुप्रीम कोर्ट का विकल्प है।

जयपुर/अहमदाबादः राहुल गांधी का उनके ‘‘मोदी उपमान’’ संबंधी टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि मामले में गुजरात हाईकोर्ट से झटका लगा है। हाईकोर्ट ने मामले में शुक्रवार राहुल गांधी को दोषी ठहराए जाने संबंधी फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज कर दी।

हाईकोर्ट के फैसले को लेकर कांग्रेस भाजपा सरकार पर हमलावर हो गई है। दिल्ली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने फैसले के खिलाफ पार्टी मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। वहीं राजस्थान के जयपुर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ काली पट्टी बांध कर विरोध मार्च निकाला। बिहार में भी कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने  फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने तो फैसले पर कहा कि यह लोकतंत्र की हत्या है।

कांग्रेस अब गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की योजना बनाई है। फैसला आने के बाद कांग्रेस ने कहा कि वह गुजरात उच्च न्यायालय के निर्णय को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) महासचिव (संगठन) के सी वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘हमारे सामने एक और विकल्प है... उच्चतम न्यायालय। चलिए देखते हैं। कांग्रेस पार्टी यह विकल्प भी अपनाएगी।’

अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि निचली अदालत का कांग्रेस नेता को दोषी ठहराने का आदेश ‘‘न्यायसंगत, उचित और वैध’’ है। यदि दोषसिद्धि पर रोक लग जाती, तो इससे राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल होने का मार्ग प्रशस्त हो जाता। 

भाजपा ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर ने कहा कि राहुल गांधी ने 2019 के चुनाव में एक टिप्पणी की थी कि सारे चोरों के सरनेम मोदी क्यों होते हैं। देशभर में मोदी सरनेम अधिकांश पिछड़ों और अति पिछड़ों का होता है और ये घोर रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी थी।

रविशंकर ने कहा कि लोअर कोर्ट ने उन्हें 2 साल की सजा दी, जिसके खिलाफ वह सेशन कोर्ट गए। सेशन कोर्ट ने उन्हें बेल तो दे दी लेकिन दोषसिद्धि को स्टे नहीं किया। इसके खिलाफ वह गुजरात हाई कोर्ट गए और उनकी कोशिश यही थी कि उनका दोषसिद्धि स्टे किया जाए और आज गुजरात हाई कोई ने उनकी इस प्रेयर को रिजेक्ट कर दिया है।

भाजपा नेता ने कहा- हम कांग्रेस से पूछना चाहते हैं कि आप राहुल गांधी को नियंत्रित क्यों नहीं कर सकते? आप उन्हें ठीक से बोलने का प्रशिक्षण क्यों नहीं दे सकते?। अगर उन्होंने इस मामले में माफी मांग ली होती, तो यह खत्म हो गया होता। अपमानित करना राहुल गांधी की फितरत है।

गौरतलब है कि गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर 2019 के मामले में सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी।

फैसले के बाद गांधी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। राहुल गांधी 2019 में केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। राहुल गांधी ने 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान टिप्पणी की थी कि ‘‘सभी चोरों का समान उपनाम मोदी ही क्यों होता है?’’ इस टिप्पणी को लेकर विधायक ने गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया था।

 

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