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दीनानाथ मंगेशकर अस्पतालः 10 लाख रुपये जमा नहीं किया तो इलाज में देरी और दूसरे अस्पताल में जुड़वां बेटियों को जन्म देने के बाद महिला की मौत?, सीएम फडणवीस ने कहा-दोषियों को दंडित करूंगा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 5, 2025 18:31 IST

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुणे में महिला के परिजनों से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा कि गलतियों को सुधारने की जरूरत है।

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ठळक मुद्देराजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं का विरोध प्रदर्शन शनिवार को दूसरे दिन भी जारी रहा।जुड़वां बेटियों को जन्म देने के बाद महिला की दूसरे अस्पताल में मौत हो गई। तनीषा भिसे की मौत की जांच के लिए एक समिति के गठन का आदेश दिया।

पुणेः महाराष्ट्र के पुणे में 10 लाख रुपये जमा न कर पाने के कारण दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल द्वारा भर्ती करने से कथित तौर पर इनकार करने के बाद एक गर्भवती महिला की मौत पर आक्रोश के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को कहा कि दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने पुणे में महिला के परिजनों से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा कि गलतियों को सुधारने की जरूरत है। जुड़वां बेटियों को जन्म देने के बाद महिला की दूसरे अस्पताल में मौत हो गई। इस बीच, राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं का विरोध प्रदर्शन शनिवार को दूसरे दिन भी जारी रहा।

जबकि दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल ने आपातकालीन विभाग में आने वाले मरीजों से रुपये जमा नहीं कराने की घोषणा की। फडणवीस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधान पार्षद अमित गोरखे के निजी सहायक की पत्नी तनीषा भिसे की मौत की जांच के लिए एक समिति के गठन का आदेश दिया।

भिसे परिवार और गोरखे ने फडणवीस से मुलाकात कर अस्पताल प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी। गृह विभाग का प्रभार संभाल रहे फडणवीस ने संवाददाताओं से कहा, “सरकारी समिति पहले से ही मामले की जांच कर रही है। दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए। हम भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सख्त कदम उठाएंगे।”

उन्होंने कहा कि विधानसभा में धर्मादाय आयुक्त को नए अधिकार देने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया है। फडणवीस ने कहा कि हम धर्मादाय आयुक्त के सभी कार्यों को एक ही ऑनलाइन मंच पर लाने की कोशिश कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, “दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल मंगेशकर परिवार के बहुत प्रयासों के बाद बनाया गया था, लेकिन गलतियों को सुधारने की जरूरत है।

समिति की ओर से कुछ प्राथमिक निष्कर्ष हैं। हालांकि, जब तक पूरी जानकारी नहीं मिल जाती, तब तक टिप्पणी करना उचित नहीं है।” भिसे परिवार के एक सदस्य ने बताया कि मुख्यमंत्री ने घटना के बारे में उनका पक्ष सुना। उन्होंने बताया, “हमने उनसे (फडणवीस से) अस्पताल के अधिकारियों पर कार्रवाई करने का अनुरोध किया। हमें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री हमें न्याय दिलाएंगे।”

इससे पहले दिन में अस्पताल ने हालिया घटना के मद्देनजर आपातकालीन विभाग में मरीजों से जमा राशि नहीं मांगने की घोषणा की। अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. धनंजय केलकर ने एक खुले पत्र में कहा, “दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल के शुरुआती वर्षों में हमने कभी जमा राशि नहीं ली।

लेकिन जैसे-जैसे गंभीर मामलों की संख्या बढ़ी और जटिल उपचारों की लागत बढ़ी, अस्पताल ने कुछ उच्च लागत वाले मामलों में जमा राशि लेना शुरू कर दिया।” उन्होंने कहा, “हालांकि कल की घटना के मद्देनजर, हमने इस तरीके का पुनर्मूल्यांकन किया और एक प्रस्ताव पारित किया कि अस्पताल अब आपातकालीन विभाग में आने वाले रोगियों से कोई जमा राशि नहीं लेगा, जिसमें आपातकालीन प्रसव और बाल चिकित्सा संबंधी आपातकालीन स्थिति भी शामिल है। इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाएगा।”

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