शुक्रवार (12 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाया। सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों में जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कूरियन जोसेफ ने प्रेस कांफ्रेंस करके कहा कि सुप्रीम कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम में सब कुछ सही नहीं चल रहा है। चारों जजों ने मीडिया में वो पत्र जारी किया है जो उन्होंने चीफ जस्टिस को लिखा था। जजों ने मीडिया को बताया कि उन्होंने शुक्रवार सुबह भी चीफ जस्टिस मिश्रा से मुलाकात की थी और उन्हें संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं मिली। जस्टिस दीपक मिश्रा देश के 45वें चीफ जस्टिस हैं। जस्टिस मिश्रा दो अक्टूबर, 2018 को उनके रिटायर होने वाले हैं।
जाने कौन हैं दीपक मिश्रा
- 14 फरवरी 1977 में जस्टिस मिश्रा ने उड़ीसा हाईकोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की थी।
- 1996 में जस्टिस मिश्रा उड़ीसा हाईकोर्ट के एडिशनल जज बने।
- 2009 के दिसंबर में जस्टिस मिश्रा पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने।
- 24 मई 2010 में दिल्ली हाईकोर्ट में बतौर चीफ जस्टिस उनका ट्रांसफर हुआ।
- 10 अक्टूबर, 2011 को जस्टिस मिश्रा सुप्रीम कोर्ट के जज बने।
- 27 अगस्त 2017 को जस्टिस मिश्रा ने चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली।
जस्टिस दीपक मिश्रा के बड़े फैसले
जस्टिस दीपक मिश्रा द्वारा हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर सुनाए गये फैसलों में मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की फांसी की सजा से लेकर निर्भया सामूहिक बलात्कार के दोषियों को फांसी की सजा सुनाने जैसे फैसले शामिल हैं। इसके साथ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में ही 30 नवंबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान चलाया जाने और इस दौरान खड़े होने की अनिवार्यता का फैसला सुनाया था।
इसके अलावा जस्टिस मिश्रा ने पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के 24 घंटे के भीतर वेबसाइट पर अपलोड करने का आदेश दिया था। बीसीसीआई में सुधार, एनआईआईटी और सुब्रत राय सहारा सेबी विवाद पर भी उनकी ही बेंच ने फैसला सुनाया था साथ ही रामजन्मभूमि मामले की सुनवाई के लिए बनाई गई स्पेशल बेंच की अगुवाई भी जस्टिस मिश्रा ही कर रहे हैं।