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Praful Patel: सीबीआई से प्रफुल्ल पटेल को मिली बड़ी राहत, भ्रष्टाचार का केस में दाखिल की क्लोजर रिपोर्ट

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: March 29, 2024 11:18 IST

एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल को केंद्रीय जांच ब्यूरो से उस समय बड़ी राहत मिली, जब जांच एजेंसी ने पटेल को भ्रष्टाचार के एक बेहद गंभीर मामले में क्लीन चिट दे दी।

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ठळक मुद्देएनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल को केंद्रीय जांच ब्यूरो से उस समय बड़ी राहत मिलीजांच एजेंसी ने प्रफुल्ल पटेल को भ्रष्टाचार के एक बेहद गंभीर मामले में क्लीन चिट दे दीप्रफुल्ल पटेल को यह क्लीन चिट एनसीपी के एनडीए में शामिल होने के लगभग 8 महीने बाद मिली

नई दिल्ली: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी)) के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से उस समय बड़ी राहत मिली, जब सीबीआई ने प्रफुल्ल पटेल से जुड़े भ्रष्टाचार के एक बेहद गंभीर मामले में क्लीन चिट दे दी। पटेल को सीबीआई की ओर से यह क्लीन चिट एनसीपी में बंटवारे और पार्टी के महाराष्ट्र में एनडीए सरकार में शामिल होने के लगभग आठ महीने बाद मिली है।

समाचार वेबासइट हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार सीबीआई प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विलय के बाद गठित नेशनल एविएशन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएसीआईएल) द्वारा विमानों को पट्टे पर देने में कथित अनियमितताओं के मामले में जांच कर रही थी, जिसमें अब उन्हें जांच एजेंसी की ओर से क्लीन चिट मिल गई है।

सीबीआई ने केस की जांच के बाद कोर्ट में दाखिल किये क्लोजर रिपोर्ट में दावा किया कि विमानों को पट्टे पर देने में कथित अनियमितताओं में प्रफुल्ल पटेल की ओर से कोई भी गलत काम करने का सबूत नहीं मिले हैं।

यह मामला नेशनल एविएशन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएसीआईएल) द्वारा विमानों को पट्टे पर देने में कथित अनियमितताएं का था, जिसका गठन यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) युग के दौरान एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विलय के बाद किया गया था। साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई इन आरोपों के संबंध में जांच कर रही थी।

केस में दर्ज की गई एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि एयर इंडिया को कम यात्री भार और महत्वपूर्ण नुकसान का सामना करने के बावजूद बड़ी संख्या में विमान पट्टे पर देने का निर्णय लिया गया। इसमें शामिल व्यक्तियों पर बेईमानी से काम करने और अज्ञात पक्षों के साथ साजिश रचने का आरोप लगाया गया था, जिसके परिणामस्वरूप निजी कंपनियों को वित्तीय लाभ हुआ और सरकारी खजाने को नुकसान हुआ।

एयर इंडिया ने निजी पार्टियों को फायदा पहुंचाने के लिए 2006 में पांच साल की अवधि के लिए चार बोइंग 777 को ड्राई लीज पर ले लिया, जबकि उसे जुलाई, 2007 से अपने स्वयं के विमान की डिलीवरी मिलनी थी। परिणामस्वरूप, पांच बोइंग 777 और पांच बोइंग पर 2007-09 की अवधि के दौरान 840 करोड़ रुपये के अनुमानित नुकसान हुआ था।

विशेष न्यायाधीश प्रशांत कुमार ने हाल ही में जांच अधिकारी को नोटिस जारी किया और मामले की तारीख 15 अप्रैल, 2024 तय की। अब अदालत यह तय करेगी कि सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार किया जाए या एजेंसी को उन बिंदुओं पर आगे की जांच करने का निर्देश दिया जाए, जिन्हें अदालत उठा सकती है।

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