प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कविता लिखने के भी शौकीन हैं। समय-समय पर वो अपने शौक को जाहिर भी करते रहते हैं। गौर करने वाली बात ये है कि इस चुनावी आपाधापी में भी वो कविता लिख रहे हैं। इसका खुलासा उन्होंने हाल ही में न्यूज नेशन को दिए एक टीवी इंटरव्यू में किया। उन्होंने बताया कि हिमाचल की चुनावी रैली से लौटते समय उन्होंने एक कविता तैयार की है। पत्रकार के आग्रह पर उन्होंने अपनी कविता भी सुनाई। आप भी पढ़िए पीएम मोदी की नई कविता...
‘आसमान में सिर उठाकर घने बादलों को चीरकररोशनी का संकल्प लेंअभी तो सूरज उगा है।। दृढ़ निश्चय के साथ चलकरहर मुश्किल को पारकरघोर अंधेरे को मिटानेअभी तो सूरज उगा है।।
विश्वास की लौ जलाकरविकास का दीपक लेकरसपनों को साकार करनेअभी तो सूरज उगा है।।
न अपना न परायान मेरा न तेरासबका तेज बनकरअभी तो सूरज उगा है।।
आग को समेटतेप्रकाश को बिखेरताचलता और चलाताअभी तो सूरज उगा है।।
विकृति ने प्रकृति को दबोचाअपनों से ध्वस्त होती आज हैकल बचाने और बनानेअभी तो सूरज उगा है।।
इससे पहले नरेंद्र मोदी की कविताओं को बीजेपी की पत्रिका 'चरैवेति' में प्रकाशित किया गया है। मोदी का गुजराती में काव्य संग्रह 'आंख आ धन्य छे' पहले ही छप चुका है। पढ़िए नरेंद्र मोदी की एक और चर्चित कविता...
जिन क्षणों में मुझे तुम्हारे होने का अहसास हुआ हैमेरे दिमाग के शांत हिमालयी जंगल मेंएक वन अग्नि धधक रही हैगंभीरता से उठती हुईजब मैं अपनी आंखें तुम पर रखता हूंमेरे मस्तिष्क की आंख में एक पूर्ण चंद्रमा उदय होता हैऔर मैं संपूर्ण पुष्पित चंदन के वृक्ष से झरती महक से भर जाता हूंऔर तब जब आखिरी बार हम मिले थेमेरे होने का पोर-पोर एक अतुलनीय महक से भर गया थाहमारे अलगाव नेमेरे जीवन के आनंद के सभी शिखरों को पिघला दिया थाजो मेरे देह को झुलसाती है औरमेरे सपनों को राख में बदल देती है।