नई दिल्ली: सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की कार्यशैली और कार्यक्षमता को लेकर अनेक बार नाराजगी को जाहिर कर चुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब 30 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को दोबारा प्रशिक्षित करने का अभियान छेड़ने जा रहे हैं.
इस कवायद का मकसद सरकारी कर्मचारियों को ज्यादा रचनात्मक, जवाबदेह और प्रौद्योगिकी के लिहाज से सक्षम बनाना है. सभी स्तर पर कर्मचारियों के कौशल में सुधार का आजादी के बाद यह सबसे बड़ा और महत्वाकांक्षी अभियान होगा. प्रधानमंत्री चाहते हैं कि नौकरशाही में बंद कमरों में काम करने की प्रवृत्ति खत्म हो और पारदर्शिता को बढ़ावा मिले.
उच्चस्तरीय क्षमता निर्माण आयोग का गठन
प्रधानमंत्री ने एक तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय क्षमता निर्माण आयोग (सीबीसी) का गठन कर एक निजी कंपनी के शीर्ष व्यक्ति आदिल जैनुलभाई को अध्यक्ष नियुक्त किया है.
जैनुलभाई इससे पहले भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया) के अध्यक्ष रह चुके हैं. आईआईटी-बॉम्बे के 1977 की बैच के स्नातक और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के पोस्ट ग्रेजुएट आदिल इस वक्त एचबीएस की एलुम्नी एसोसिएशन के वर्तमान अध्यक्ष हैं.
प्रधानमंत्री इससे पहले निजी क्षेत्र की एक महिला को सार्वजनिक उद्यम चयन बोर्ड का प्रमुख नियुक्त कर चुके हैं. यह बोर्ड देश में सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों में शीर्ष अधिकारियों की नियुक्ति करता है.
30 लाख कर्मचारियों की निगरानी और समीक्षा
सीबीसी का काम सभी सरकारी कार्यालयों और प्रशिक्षण संस्थानों में समन्वयन करके उनका मार्गदर्शन करना होगा. साथ ही यह केंद्र सरकार में विभिन्न स्तरों पर काम कर रहे 30 लाख कर्मचारियों की निगरानी करके वक्त-वक्त पर कामकाज की समीक्षा कर उसमें सुधार का प्रयास करेगा.
सीबीसी के दो अन्य सदस्य रामास्वामी बालासुब्रह्मण्यम और प्रवीण परदेशी (प्रशासन) हैं. साथ ही प्रधानमंत्री कई विभागों के कामकाज को भी एकीकृत करने में जुटे हैं.
कार्मिक सचिव दीपक खांडेकर को पेंशन विभाग और प्रशासनिक सुधार व सार्वजनिक शिकायत विभाग का प्रभार सौंपा गया है. मध्यप्रदेश के 1985 कैडर के आईएएस अधिकारी खांडेकर के पास सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के सचिव का भी जिम्मा है.