प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए बेहद लोकप्रिय चीनी मूल के एप्प जूम का भारतीय वर्जन चाहते हैं. मोदी सरकार ने इस दिशा में कई कदम भी उठाए हैं. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लि. (बीईएल) के अलावा इस काम के लिए दर्जनभर कंपनियों के नाम छांटे गए हैं. कामयाब कंपनी को केंद्र, राज्य सरकारों व अन्य को यह प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने का काम दिया जाएगा.
चीनी एप्प पर भरोसा कम
भारत-चीन के बीच बढ़ते तनाव के कारण वैसे भी चीनी एप्प को लेकर भरोसा कम होता जा रहा है. इस परियोजना के लिए प्रारंभिक निवेश सरकार द्वारा किया जाएगा. जूम एक अमेरिकी कंपनी है जिसका मालिक चीनी नागरिक है. इसके सर्वर भी चीन में ही है. सरकार चाहती है कि नागरिकों और संस्थानों को एक पूरी तरह से सुरक्षित भारतीय वर्जन दिया जाए.
वीसी का चलन बढ़ा
सरकार और उसके कई संस्थानों, राज्य सरकारों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) का चलन लॉकडाउन के दौरान और अधिक बढ़ चुका है. इसका इंतजाम नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) द्वारा किया जाता है. यह सुविधा गैर सरकारी संस्थानों, संगठनों को उपलब्ध नहीं है.
एनआईसी की क्षमता कम
एनआईसी के पास 500 पूरी तरह से विशेष ऑप्टिकल फाइबर लाइंस हैं जो प्रधानमंत्री कार्यालय, रक्षा विभाग, केंद्रीय मंत्रालयों, मुख्यमंत्रियों, राज्यपालों आदि के लिए पूरी तरह से सुरक्षित संवाद सुनिश्चित करती हैं. इसका सालाना बजट 1200 करोड़ है. दिक्कत यह है कि एनआईसी नेटवर्क एक ही वक्त में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान 50-60 लोगों को नहीं जोड़ पाता. पीएम-वीआईपी में 133 वीसी प्रधानमंत्री सहित वीआईपी लोगों के बीच अब तक एनआईसी नेटवर्क के जरिये 133 वीडियो संवाद हो चुके हैं. वीडियो संवाद का कुल आंकड़ा 5700 का है.
बीईएल के अलावा जूम के भारतीय संस्करण को तैयार करने के काम में जुटी अन्य कंपनियों में एचसीएल टेक्नालॉजी, जोहो कॉर्प, पीपुल लिंक प्रमुख हैं. इन कंपनियों से जूम जैसा विश्वस्तर का भारतीय प्रोटोटाइप तैयार किए जाने की उम्मीद है. चुनिंदा कंपनियों को पूरे काम के लिए 20 लाख दिए जाएंगे. नया वीसी उत्पाद सभी भारतीय भाषाओं में उपलब्ध हो सकता है. इसकी एनक्रिप्शन की भी भारत में उपलब्ध होगी. यह विदेशी वीसी टूल्स से संभव नहीं है.