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"सेंगोल को छड़ी बनाकर आनंद भवन में रखा...आज मिल रहा उचित सम्मान", बोले पीएम मोदी, कांग्रेस ने उठाया सवाल

By भाषा | Published: May 28, 2023 7:19 AM

‘सेंगोल’ प्राप्त करने के बाद इस पर बोलते हुए पीएम मोदी कहा है कि “आज उस दौर की तस्वीरें हमें तमिल संस्कृति और आधुनिक लोकतंत्र के रूप में भारत की नियति के बीच गहरे भावनात्मक बंधन की याद दिला रही हैं। आज इतिहास के पन्नों से इस गहरे बंधन की गाथा जीवंत हो उठी है।”

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ठळक मुद्देपूरे रीति रिवाज के साथ पीएम मोदी को ‘सेंगोल’ सौंपा गया है।तमिलनाडु के अधीनम (पुजारियों) से पीएम मोदी को ‘सेंगोल’ प्राप्त हुआ है। ‘सेंगोल’ प्राप्त करने के बाद पीएम मोदी कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा है।

नई दिल्ली:   प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस पर जबदस्त निशाना साधते हुए शनिवार को कहा कि 1947 में अंग्रेजों से सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक ‘सेंगोल’ (राजदंड) को आजादी के बाद उचित सम्मान मिलना चाहिए था, लेकिन इसे प्रयागराज के आनंद भवन में ‘छड़ी’ के रूप में प्रदर्शित किया गया है। मोदी ने रविवार को नये संसद भवन के उद्घाटन की पूर्व संध्या पर यहां अपने आवास पर तमिलनाडु के अधीनम (पुजारियों) से ‘सेंगोल’ प्राप्त करने के बाद यह टिप्पणी की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘आपकी सेवक’ और हमारी सरकार ‘सेंगोल’ को प्रयागराज के आनंद भवन से निकालकर ले आई है। 

‘सेंगोल’ को लेकर पीएम मोदी ने क्या कहा है

आनंद भवन नेहरू परिवार का निवास स्थान था, जिसे एक संग्रहालय में बदल दिया गया है। मोदी ने कहा कि ‘सेंगोल’ की अहमियत न सिर्फ इसलिए है, क्योंकि यह 1947 में सत्ता हस्तांतरण का पवित्र प्रतीक था, बल्कि यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पूर्व-औपनिवेशिक भारत की गौरवशाली परंपराओं को स्वतंत्र भारत के भविष्य से जोड़ता है। 

मोदी ने कहा कि आज़ादी के बाद पवित्र ‘सेंगोल’ को अगर उचित सम्मान दिया जाता, तो अच्छा होता, लेकिन इसे प्रयागराज के आनंद भवन में ‘छड़ी’ के तौर पर प्रदर्शित करने के लिए रख दिया गया था। उन्होंने कहा कि 1947 में अंग्रेजों से सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक को लेकर सवाल खड़ा हुआ था और सी राजगोपालाचारी और अधीनम के मार्गदर्शन में ‘सेंगोल’ के माध्यम से प्राचीन तमिल संस्कृति से सत्ता हस्तांतरण का पवित्र जरिया खोजा गया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर 1947 में तिरूवदुतुरई के अधीनम ने विशेष ‘सेंगोल’ बनाया था। 

‘सेंगोल’ को नए संसद भवन में स्थापित किए जाने पर खुश हुए पीएम मोदी

पीएम मोदी ने आगे कहा है कि “आज उस दौर की तस्वीरें हमें तमिल संस्कृति और आधुनिक लोकतंत्र के रूप में भारत की नियति के बीच गहरे भावनात्मक बंधन की याद दिला रही हैं। आज इतिहास के पन्नों से इस गहरे बंधन की गाथा जीवंत हो उठी है।” प्रधानमंत्री ने कहा, “हमें यह भी पता चला कि इस पवित्र प्रतीक के साथ कैसा व्यवहार किया गया।” 

मोदी ने राजगोपालाचारी और अधीनम की दूरदर्शिता की सराहना करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि ‘सेंगोल’ ने वर्षों की गुलामी के हर प्रतीक से स्वतंत्रता की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा कि ‘सेंगोल’ को आखिरकार लोकतंत्र के मंदिर में अपना वह स्थान मिल रहा है, जिसका वह हकदार है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर खुशी जताई कि भारत की महान परंपराओं के प्रतीक ‘सेंगोल’ को नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा। मोदी ने कहा कि ‘सेंगोल’ सरकार के लोगों को याद दिलाएगा कि उन्हें लगातार ‘कर्तव्य पथ’ पर चलना है और जनता के प्रति जवाबदेह रहना है। 

‘सेंगोल’ को लेकर कांग्रेस ने क्या दावा किया है 

कांग्रेस ने शुक्रवार को दावा किया था कि इस बात का कोई दस्तावेज़ी सबूत नहीं है कि लॉर्ड माउंटबेटन, सी राजगोपालचारी और जवाहरलाल नेहरू ने ‘सेंगोल’ को ब्रिटेन से भारत को सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक बताया हो। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा था कि ‘सेंगोल’ के सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक बताने वाले सभी दावे ‘फर्जी’ हैं। अधीनम ने रविवार को नए संसद भवन में ‘सेंगोल’ की स्थापना से पहले शनिवार को प्रधानमंत्री को आशीर्वाद दिया था। 

अधीनम का अभिनंदन करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि वह नये संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर उपस्थित होंगे और अपना आशीर्वाद देंगे। अपनी टिप्पणी में मोदी ने स्वतंत्रता संग्राम में तमिलनाडु की भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा कि दक्षिणी राज्य भारतीय राष्ट्रवाद का गढ़ है। उन्होंने कहा, “तमिलनाडु के लोगों में हमेशा से सेवा की भावना रही है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत की स्वतंत्रता में तमिलनाडु के लोगों के योगदान को वह महत्व नहीं दिया गया, जो दिया जाना चाहिए था।” 

अधीनम के स्वामी कुमारगुरुपारा के बारे में भी बोले पीएम

मोदी ने यह भी कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, “देश के लोगों को पता चल रहा है कि महान तमिल परंपरा के साथ क्या सलूक किया गया है।” प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु के कई महान संतों को याद किया, जिन्होंने आदरपूर्वक उज्जैन, केदारनाथ और गौरी कुंड का उल्लेख किया था। 

वाराणसी के सांसद के रूप में मोदी ने धर्मपुरम अधीनम के स्वामी कुमारगुरुपारा के बारे में भी बात की, जो तमिलनाडु से काशी गए थे और केदार घाट पर केदारेश्वर मंदिर की स्थापना की थी। उन्होंने बताया कि तमिलनाडु के तिरुप्पनंडल में काशी मठ का नाम भी काशी के नाम पर रखा गया है। 

पीएम मोदी ने तमिल संस्कृति के बारे में क्या कहा

प्रधानमंत्री ने वर्षों की गुलामी के बाद भी तमिल संस्कृति को जीवंत बनाए रखने में अधीनम जैसी महान परंपरा की भूमिका को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “आपके सभी संस्थानों का राष्ट्र के प्रति योगदान के मामले में एक गौरवशाली इतिहास रहा है। अब समय आ गया है कि इस परंपरा को आगे बढ़ाया जाए और आने वाली पीढ़ियों के लिए काम करने की प्रेरणा ली जाए।” 

मोदी ने कहा कि लाखों देशवासी 1947 में अधीनम की भूमिका से फिर से परिचित हो गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “जो लोग भारत की प्रगति में बाधा डालते हैं, वे हमारी एकता को तोड़ने की कोशिश करेंगे। लेकिन मुझे विश्वास है कि आपके संस्थानों से देश को मिलने वाली आध्यात्मिकता और सामाजिक ताकत के साथ हम हर चुनौती का सामना करेंगे।” 

‘सेंगोल’ के इतिहास और प्रधानमंत्री द्वारा नये संसद भवन के उद्घाटन को लेकर भाजपा और कांग्रेस में जारी जुबानी जंग के बीच मोदी की यह टिप्पणी आई है। कम से कम 25 राजनीतिक दल नए संसद भवन के उद्धाटन समारोह में हिस्सा ले सकते हैं। विपक्ष के करीब 20 दलों ने इस कार्यक्रम के बहिष्कार की घोषणा की है। विपक्षी दलों का कहना है कि राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को नये संसद भवन का उद्धाटन करना चाहिए, क्योंकि वह राष्ट्र की प्रमुख हैं। 

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