नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को इमाम हुसैन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि न्याय और मानवीय गरिमा के आदर्शों के प्रति उनका साहस और प्रतिबद्धता उल्लेखनीय है। दुनियाभर के मुसलमान, खासकर शिया मुसलमान इस दिन कर्बला की लड़ाई में पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन की शहादत का गम मनाते हैं। इसे 'आशूरा' के नाम से भी जाना जाता है और यह इस्लामिक महीने मुहर्रम का 10वां दिन होता है।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, "हम हजरत इमाम हुसैन की कुर्बानियों को याद करते हैं। न्याय और मानवीय गरिमा के आदर्शों के प्रति उनका साहस एवं प्रतिबद्धता उल्लेखनीय है।" मुहर्रम दुनिया भर के मुसलमानों के लिए एक पवित्र महीना है और भारत भी इससे अलग नहीं है। हर साल भारत में मुसलमान मुहर्रम को धार्मिक उत्साह के साथ मनाते हैं। मुहर्रम का पवित्र महीना इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है।
यह मुसलमानों के लिए कर्बला में इमाम हुसैन और उनके परिवार की शहादत को याद करने का समय है। मुहर्रम का महीना आध्यात्मिक चिंतन और कर्बला में इमाम हुसैन और उनके परिवार के सदस्यों की शहादत को याद करने का समय है। हर साल मुहर्रम की तारीखें ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार अलग-अलग होती हैं क्योंकि इस्लामिक कैलेंडर चंद्र चक्र पर आधारित होता है।
आमतौर पर सउदी अरब, ओमान और यूएई जैसे देशों में भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, मोरक्को, इंडोनेशिया, सिंगापुर और मलेशिया से एक दिन पहले अर्धचंद्र दिखाई देता है। हजरत इमाम हुसैन हजरत अली के बेटे और पैगंबर मुहम्मद के पोते थे। मुहर्रम उनकी शहादत की याद दिलाता है और यह 14 शताब्दी पहले हुई कर्बला की लड़ाई में उनकी शहादत पर दुख की अभिव्यक्ति का प्रतीक है।
(भाषा इनपुट के साथ)