नई दिल्ली: हेलीकॉप्टर सेवा प्रदाता पवन हंस लिमिटेड (पीएचएल) का विनिवेश अधर में लटकता हुआ दिखाई दे रहा है क्योंकि सरकार ने जिस स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड को अपनी 51 फीसदी हिस्सेदारी बेची है उस समूह की एक कंपनी के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने एक आदेश दिया है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार अध्ययन कर रही है कि क्या एनसीएलटी का फैसला एक प्रतिकूल आदेश है क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो रणनीतिक विनिवेश पर दिशानिर्देशों के अनुसार बोली को अयोग्य घोषित करना पड़ सकता है।
पवन हंस विनिवेश प्रक्रिया में शामिल निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के एक अधिकारी ने कहा कि हम आगे बढ़ने से पहले एनसीएलटी के आदेश की कानूनी जांच करेंगे। पुरस्कार पत्र (पवन हंस विनिवेश के लिए) अभी तक जारी नहीं किया गया है।
बता दें कि, सरकार ने पवन हंस लिमिटेड में अपनी 51 प्रतिशत हिस्सेदारी 211.14 करोड़ रुपये में स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड को प्रबंधकीय नियंत्रण के हस्तांतरण के साथ बेचने की मंजूरी दे दी है।
स्टार9 मोबिलिटी एक समूह है जिसमें बिग चार्टर प्राइवेट लिमिटेड, महाराजा एविएशन प्राइवेट लिमिटेड और अल्मास ग्लोबल ऑपरच्युनिटी फंड एसपीसी (49 फीसदी) शामिल हैं।
हालांकि, 20 अप्रैल को मंजूरी से नौ दिन पहले एनसीएलटी की कोलकाता पीठ ने अल्मास ग्लोबल ऑपरच्युनिटी फंड के खिलाफ जानबूझकर उल्लंघन करने का एक आदेश पारित किया था।
दरअसल, अल्मास ग्लोबल ऑपरच्युनिटी फंड ने कोलकाता स्थित बिजली वितरण कंपनी ईएमसी लिमिटेड की बोली जीती है लेकिन उसने आवश्यक राशि जमा नहीं की।