दिल्ली: डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन (DNPA) का सम्मेलन शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में शुरू हो रहा है। कॉन्क्लेव का उद्देश्य डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में समय के साथ हो रहे बदलावों को लेकर अहम बातचीत करना है। सम्मेलन का विषय 'फ्यूचर ऑफ डिजिटल मीडिया' है। इस विषय पर कई बड़े विशेषज्ञ अपनी-अपनी राय रखेंगे। 20 जनवरी को रहे इस कार्यक्रम में ऑस्ट्रेलिया के मौजूदा सांसद और संचार मंत्री रहे पॉल फ्लेचर का संबोधन सबसे महत्वपूर्ण है।
पॉल फ्लेचर वह व्यक्ति ने जिनके बतौर संचार मंत्री रहते हुए ऑस्ट्रेलिया में ऐसा कानून बना था, जिसके कारण वहां की बड़ी टेक कंपनियों को अपनी आमदनी को डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स के साथ साझा करना अनिवार्य हो गया है। डिजिटल मीडिया के लिए आयोजित इस सम्मेल में हिस्सा लेने भारत आए पॉल फ्लेचर ने कई बातें कही।
अमर उजाला के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि यह भारत का मामला है और भारत सरकार को तय करना है कि वह डिजिटल न्यूज और टेक कंपनियों के बीच क्या व्यवस्था करती है या करना चाहती है। उन्होंने कहा कि भारत में डिजिटल मीडिया को लेकर क्या नीतियां बनाई जानी चाहिए ये भारत सरकार को देखना होगा। हम बस अपने देश ऑस्ट्रेलिया के अनुभवों को इस कार्यक्रम के दौरान साझा कर सकते हैं। हालांकि, यह जरूर है कि भारत के आईटी सेक्टर ने असाधारण सफलता हासिल की है।
डिजिटल मीडिया से जुड़े फैसले सरकार के हाथ हो न की टेक कंपनियों के हाथ- पॉल फ्लेचर
ऑस्ट्रेलिया के पॉल फ्लेचर ने कहा कि टेक कंपनियां लोगों के अपनी ओर आकर्षित करने के लिए जिस कंटेंट का उपयोग कर रही है, उसे न्यूज मीडिया बना रही है। डिजिटल मीडिया का ये मुद्दा भारत, फ्रांस, कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों के लिए भी एक बड़ा मुद्दा है। सभी देशों के लिए इस पर कानून बनाना होगा और सबसे अहम है कि इससे जुड़े सभी फैसले सरकार को करने चाहिए। ये फैसले टेक कंपनियों के हाथ में नहीं देने चाहिए।
भारत के आईटी सेक्टर ने असाधारण सेवाएं दी- फ्लेचर
डीएनपीए के कार्यक्रम में पहुंचे फ्लेचर ने कहा कि डीएनपीए डिजिटल मीडिया के सामने मौजूद विषयों को परिभाषित कर सकता है और नीतियां क्या होनी चाहिए इसकी सलाह दे सकता है। डीएनपीए जैसी संस्था द्वारा ऐसी पहल करना एक अच्छी उपलब्धि है। मैं ये उम्मीद करता हूं कि आने वाले समय में सरकार इससे जुड़े साझेदारों से सलाह लेकर फैसले करेगी।
फ्लेचर ने कहा कि टीसीएस, विप्रो और इन्फोसिस जैसी कंपनियों की ऑस्ट्रेलिया में बड़े पैमाने पर भागीदारी है। भारत ने आम जनता तक सेवाएं पहुंचाने में आईटी कंपनियों की बड़ी मदद ली है जो कि असाधारण है। यह आईटी सेक्टर, मोबाइल सेवा प्रदाताओं और मोदी सरकार के लिए बड़ी सफलता है।