नई दिल्ली, 18 जुलाईः बुधवार को मॉनसून सत्र शुरू होते ही विपक्ष ने मॉब लिंचिंग मामले पर हंगामा शुरू किया। इसके बाद आंध्र प्रदेश को को विशेष राज्य देने को लेकर तेलगू देशम पार्टी ने प्रर्दशन शुरू कर दिया। इसके बाद कांग्रेस और टीडीपी सदन में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ले आई, जिसे लोकसभा स्पीकर मंजूर कर लिया। अब शुक्रवार को लोकसभा में इस पर चर्चा होगी। हालांकि अभी भी संसद में 68 बिल लंबित हैं। इनमें 25 बिल संसद में पेश हो चुके हैं। इन पर आगे की कार्रवाई नहीं हो पाई है और 18 बिल पेश किए जाने के लिए सूचीबद्ध हैं।
यह सत्र इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस सत्र में डिप्टी चेयरमैन का चुनाव होना है। कांग्रेस चाहती है कि यह पद उसके पास बना रहे। लेकिन एनडीए और टीएमसी इस पद पर दांव लगाए हुए हैं। राज्यसभा में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है। लेकिन विपक्ष एकजुट हुआ तो बीजेपी पर भारी पड़ सकता है।
संसद के मॉनसून सत्र की Update
- प्रकाश जावड़ेकर ने निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (संशोधन) बिल 2017 लोकसभा से पारित किया।- जावड़ेकर ने कहा कि स्कूलों में पढ़ाई होनी चाहिए इसके लिए राज्य और केंद्र दोनों की जिम्मेदारी और जवाबदेही है। - मानव विकास संसाधन मंत्री ने कहा कि अच्छी शिक्षा के लिए यह ऐतिहासिक फैसला है। - अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में शुक्रवार को होगी चर्चा।
- कांग्रेस और टीडीपी की ओर से लोकसभा में लाया गया अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने मंजूर कर लिया है।
यहां पढ़ें क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव
- समाजवादी पार्टी और टीडीपी के सांसदों ने मॉब लिंचिंग को लेकर संसद में प्रदर्शन जारी रखा है।
- लोकसभा में विपक्ष का हंगामा। हंगामे के बीच प्रश्नकाल शुरू। मॉब लिंचिंग को लेकर विपक्ष का हमला।
- गृह मंत्री राजनाथ सिंह व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज संसद पहुंचे।
- पीएम मोदी ने सभी दलों से फिर से सहयोग मांगा।
- वाईएसआर कांग्रेस के सांसदों ने संसद में गांधी प्रतिमा के सामने प्रदर्शन किया।
- भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के सांसद डी राजा ने राज्यसभा में झारखंड में स्वामी अग्निवेश के साथ हुई मॉब लिंचिंग पर स्थगन प्रस्ताव नोटिस नोटिस देंगे।
- मॉनसून सत्र में जाने से पहले टीडीपी के नेताओं ने वाईएस चौधरी के निवास पर बैठक की।
- शून्य कॉल में टीएमसी सौंपेगी मॉब लिंचिंग पर नोटिस
- मानसून सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने के लिये सभी दलों का सहयोग मांगा।
- टीडीपी, कांग्रेस और दूसरे अहम विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकती हैं।
- सरकार ने दावा किया कि विपक्षी दलों ने संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने में सहयोग का आश्वासन दिया है।
- विपक्षी दलों के नेताओं ने लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन को पत्र लिख कर कहा कि संसद के बजट सत्र के दौरान उभरी प्रवृत्ति पर काबू नहीं पाया गया तो यह देश के संवैधानिक लोकतंत्र के लिए घातक साबित हो सकता है।
- शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने आज कहा कि पार्टी ने तेदेपा द्वारा नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ संसद में लाये जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने के बारे में निर्णय नहीं किया है।
- संसद के मॉनसून सत्र के शुरू होने के एक दिन पहले राउत ने यह बयान दिया है। हालांकि , तेलगू देशम पार्टी के एक सांसद ने शिवसेना के साथ - साथ भाजपा के भी कुछ सांसदों से प्रस्ताव को समर्थन मिलने की आशा जतायी।
निराशाजनक रहा था पिछला सत्र
एक रिसर्च के मुताबिक इस सत्र में 25 पहले से लिस्टेड हैं, जिनपर चर्चा होनी है। जबकि 18 नये पेश किए जाने हैं। इनमें बैंककरप्सी कोड (सुधार) बिल, 2018 जैसे महत्वपूर्ण बिल भी है। इसके अलावा मुस्लिम वुमन (निकाह के अधिकार की सुरक्षा) बिल, 2017 और ट्रांसजेंडर परसन्स (सुरक्षा का अधिकार) बिल, 2016 सबसे ज्यादा जरूर बिल हैं, जिन पर चर्चा होनी है।
इसके अलावा संसद में इस बार मॉब लिंचिंग, जम्मू कश्मीर के राजनैतिक हालात, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आई उछाल, महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध, बैंकों में होने वाले फ्रॉड, सांप्रदायिक हिंसा जैसे मामले गूंज सकते हैं।
ऐसे में अट्ठारह दिनों के इस मानसून सत्र में उम्मीद की जा रही है कि बजट सत्र जैसे हालात नहीं बनेंगे। तब राज्य सभा में सरकारी बिल पर मात्र तीन मिनट चर्चा हुई और वहीं लोकसभा में चौदह मिनट इसके अलावा लगभग 200 घंटो से अधिक का समय केवल शोरगुल और आरोप प्रत्यारोप में बीते गए थे।