संसद का मानसून सत्रः PM मोदी ने सभी दलों से मांगा सहयोग, लेकिन विपक्ष सरकार को घेरने को तैयार 

By रामदीप मिश्रा | Published: July 17, 2018 04:09 PM2018-07-17T16:09:49+5:302018-07-17T16:09:49+5:30

बैठक के दौरान विपक्षी दलों ने उच्च शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति को आरक्षण नहीं प्रदान करने के विषय को उठाया।

Parliament Monsoon Session 2018: PM Narendra Modi seeks cooperation from Opposition parties | संसद का मानसून सत्रः PM मोदी ने सभी दलों से मांगा सहयोग, लेकिन विपक्ष सरकार को घेरने को तैयार 

संसद का मानसून सत्रः PM मोदी ने सभी दलों से मांगा सहयोग, लेकिन विपक्ष सरकार को घेरने को तैयार 

नई दिल्ली, 17 जुलाई: संसद के बुधवार से शुरू हो रहे मानसून सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने के लिये सभी दलों का सहयोग मांगा। संसद भवन में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में मोदी ने सभी दलों से सदन में मुद्दों को उठाने का आग्रह किया क्योंकि लोग उनसे ऐसी उम्मीद करते हैं। 

सरकार का दावा, विपक्ष ने सहयोग का दिया आश्वासन 

सरकार ने दावा किया कि विपक्षी दलों ने संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने में सहयोग का आश्वासन दिया है। बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने संवाददाताओं से कहा, 'प्रधानमंत्री ने संसद के सुचारू और सार्थक सत्र के लिये सभी राजनीतिक दलों का सहयोग मांगा है। लोग उम्मीद करते हैं कि संसद में कामकाज हो और हम सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए।'

सपा की मांग नहीं हुई पूरी तो नहीं चलने देगी संसद

बैठक के दौरान विपक्षी दलों ने उच्च शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति को आरक्षण नहीं प्रदान करने के विषय को उठाया। समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कहा, 'जब तक सरकार उच्च शिक्षा में अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए आरक्षण लागू करने का सदन में आश्वासन नहीं देती है तब तक हम सदन नहीं चलने देंगे।' आप नेता संजय सिंह ने दिल्ली की आप सरकार के साथ कथित भेदभाव के विषय को उठाया।

सरकार को घेरेंगे वाम दल

इधर, बताया जा रहा है कि वामपंथी दल देश में पीट-पीटकर जान लेने और सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं को लेकर संसद के मानसून सत्र में सरकार को घेरने की योजना बना रहे हैं और वे इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जवाब के लिए भी दबाव बना सकते हैं। 18 जुलाई से शुरू हो रहे सत्र के लिए अपनी रणनीति तैयार कर रही माकपा और भाकपा ने आरोप लगा चुके हैं कि देश में पीट-पीटकर हत्या और सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में कई लोग मारे गये हैं और प्रधानमंत्री को संसद में बताना चाहिए कि उनकी सरकार आरएसएस-बीजेपी की 'विभाजनकारी राजनीति' को नियंत्रित करने के लिए क्या कर रही है। 

टीडीपी लाएगी अविश्वास प्रस्ताव

वहीं, कहा जा रहा है कि संसद का मानसून सत्र हंगामें की भेंट चढ़ सकता है क्योंकि तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने दावा किया है कि वह देश की नरेंद्र मोदी सरकार के खिफाल अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रही है। बताया जा रहा है इसका समर्थन कांग्रेस भी कर सकती है। टीडीपी के नेता लंका दिनाकरन ने कह चुके हैं कि उनकी पार्टी संसद के मानसून सत्र में नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी। बीजेपी और वाईएसआरसीपी दोनों चंद्रबाबू नायडू और टीडीपी के खिलाफ षड्यंत्र कर रहे हैं। उन्होंने आंध्र प्रदेश के लोगों के साथ धोखा किया है।

कैसे लाया जाता है अविश्वास प्रस्ताव?

आपको बता दें कि जब किसी विपक्षी दल को लगता है कि मौजूदा सरकार सदन का विश्वास या बहुमत खो चुकी है तो वह अविश्वास प्रस्ताव पेश करता है। इसके लिए वह सबसे पहले लोकसभा अध्यक्ष या स्पीकर को इसकी लिखित में सूचना देता है। इसके बाद स्पीकर उसी दल के किसी सांसद से इसे पेश करने के लिए कहता है। अविश्वास प्रस्ताव को तभी स्वीकार किया जा सकता है, जब सदन में उसे कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन हासिल हो। वहीं, अगर लोकसभा अध्यक्ष या स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी दे देते हैं, तो प्रस्ताव पेश करने के 10 दिनों के अदंर इस पर चर्चा जरूरी है। इसके बाद स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग करा सकता है या फिर कोई फैसला ले सकता है।

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Web Title: Parliament Monsoon Session 2018: PM Narendra Modi seeks cooperation from Opposition parties

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