पटना: जाप प्रमुख पप्पू यादव ने जीएसटी टैक्स में रोटी और पराठे को अगल-अलग श्रेणियों में रखते हुए उन पर क्रमशः 5 फीसदी और 18 फीसदी टैक्स वसूले जाने के गुजरात अपीलेट अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग (जीएएआर) के फैसले का विरोध करते हुए इसके लिए मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है।
केंद्र सरकार के मुखर आलोचक पप्पू यादव ने जीएएआर का फैसला आने के बाद ट्वीट करते हुए जीएसटी टैक्स सिस्टम पर तंज कसते हुए कहा, "पराठों पर अब 18 फीसदी जीएसटी, चपाती पर बस 5 फीसदी जीएसटी। सरकार ने एक राहत दी है, भूखे रहने पर कोई जीएसटी नहीं"
जीएएआर ने शुक्रवार को दिये एक अहम फैसले में भारतीय नागरिकों के आम तौर पर लोकप्रिय भोज्य सामग्री रोटी और पराठों पर टैक्सों की अलग-अलग दर निर्धारित करके उन्हें दो श्रेणियों में बांट दिया है।
जीएएआर ने रोटी के मुकाबले पराठे को लग्जरी खाद्य मानते हुए उस पर 18 फीसदी जीएसटी वसूलने का फरमान सुनाया है, वहीं रोटी पर 5 फीसदी जीएसटी यथावत बना रहेगा।
जीएएआर की दो सदस्य विवेक रंजन और मिलिंद तोरवाने की बेंच ने रोटी और पराठे के बीच अलग-अलग टैक्स का प्रावधान इस कारण किया क्योंकि अथॉरिटी के सामने अहमदाबाद की वाडीलाल इंडस्ट्रीज ने एक याचिका दायर की थी।
वाडीलाल इंडस्ट्रीज ने अपनी याचिका में यह कहा था कि सामान्य रोटी और उनके रेडी टू कुक यानि फ्रोजेन पराठों के बीच बहुत ज्यादा समानता है क्योंकि दोनों मूलरूप से आटे से बनते हैं। इसलिए दोनों पर 5 फीसदी टैक्स लिया जाए।
लेकिन बेंच के विद्वान जजों ने वाडीलाल इंडस्ट्रीज के तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि पराठे और रोटी समान नहीं हैं। रोटी रेडी टू ईट है, जबकि फ्रोजन पराठा रेडी टू कुक है। इसके अलावा दोनों के निर्माण की प्रक्रिया में बहुत अंतर है और चूंकि पराठों के बनाने के लिए घी या मक्खन का प्रयोग होता है। इस कारण पराठों को सामान्य श्रेणी में नहीं बल्कि लग्जरी श्रेणी में माना जाएगा। इसलिए कारण रोटी पर लगने वाला 5 फीसदी जीएसटी पराठे पर लागू नहीं होगा।
बेंच ने पराठे को 18 फीसदी जीएसटी की कैटेगरी में माना और उस पर उसी हिसाब से टैक्स वसूली का आदेश दिया है। बेंच ने कहा कि रोटी और पराठे के मूलभूत आधार आटे के कारण हम उसे एक श्रेणी में नहीं रख सकते हैं। पराठे बनाने की विधि और उसे बनाने में लगने वाली सामग्री रोटी से भिन्न है, इसलिए पराठों को ऊंची टैक्स कैटेगरी में रखना सही होगा।