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पाकिस्‍तान की तालिबानी साजिश, घुसपैठ की तैयारी, एलओसी पर भारतीय जवान मुस्तैद

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: September 1, 2021 16:49 IST

एलओसी के पार पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में चल रहे आतंकवाद का प्रशिक्षण देने वाले कैम्पों में कितने तालिबानी आतंकी एकत्र हुए हैं।

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ठळक मुद्देतालिबानी जत्था घुसपैठ में कामयाब होगा वह कश्मीर के हालात को फिर से पीछे मोढ़ने में कामयाब हो जाएगा। सेना तालिबानियों की घुसपैठ रोकने की खातिर कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहती।सेना की नार्दन कमान के प्रवक्ता कर्नल दावा करते हैं कि एलओसी पर सभी लूप होलों को बंद करने की कोशिश की जा रही है।

जम्मूः एलओसी से सटे इलाकों में रहने वाले लाखों लोगों के लिए अगले कुछ दिन परेशानी और दहशत से भरे हो सकते हैं। ऐसा पाकिस्तानी सेना द्वारा अपने जहां रुके पड़े प्रशिक्षित आतंकियों तथा तालिबानियों को इस ओर धकेलने की कोशिशों में तेजी लाने तथा भारतीय सेना उन्हें रोकने की कवायद में जुटी हैं।

 

हालांकि इसके प्रति सिर्फ अनुमान ही हैं कि एलओसी के पार पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में चल रहे आतंकवाद का प्रशिक्षण देने वाले कैम्पों में कितने तालिबानी आतंकी एकत्र हुए हैं या आतंकी प्रशिक्षण ले रहे हैं और कितने इस ओर आने को तैयार बैठे हैं, पर यह जरूर कहा जा रहा है कि जो भी तालिबानी जत्था घुसपैठ में कामयाब होगा वह कश्मीर के हालात को फिर से पीछे मोढ़ने में कामयाब हो जाएगा।

नतीजतन सेना तालिबानियों की घुसपैठ रोकने की खातिर कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहती। सेना की नार्दन कमान के प्रवक्ता कर्नल दावा करते हैं कि एलओसी पर सभी लूप होलों को बंद करने की कोशिश की जा रही है। दरअसल एलओसी की स्थिति ऐसी है कि चप्पे-चप्पे पर जवानों को तैनात करने के बावजूद घुसपैठियों को रोक पाना संभव नहीं हो सकता।

सेना आप इसे मानती है कि एलओसी पर तारबंदी उतनी कामयाब नहीं हो पाई है जितनी प्रभावी वह इंटरनेशनल बार्डर पर है। एलओसी पर तारबंदी की हालत यह है कि हर साल बर्फबारी के बाद वह क्षतिग्रस्त हो जाती है और उसकी मुरम्मत का कार्य कठिन होने के कारण कई स्थानों पर कई कई महीनों तक वह क्षतिग्रस्त ही रहती है।

इन्हीं परिस्थितियों का लाभ पाक सेना उठाने की कोशिश में है। वह घुसपैठ के परंपरागत रास्तों को छोड़ कर अब दुर्गम और नए रास्तों का इस्तेमाल कर भारतीय सेना की परेशानियां बढ़ा रही है। इसी प्रकार की परेशानी एलओसी से सटे इलाकों में रहने वाले सीमावासियों की इसलिए बढ़ रही है क्योंकि पाक सेना घुसपैठ की खातिर कवरिंग फायर की नीति का इस्तेमाल सीजफायर के बावजूद करती रहती है और इस ओर से भी जवाबी कार्रवाई के कारण गोलों और गोलियों का शिकार सीमावासी ही बनने लगे हैं चाहे वे इस ओर के इलाके में रहते हों या फिर एलओसी के पार।

यही कारण था कि एलओसी के बनते-बिगड़ते हालात के चलते सीमावासी बोरिया बिस्तर बांध कर पलायन की स्थिति में हैं क्योंकि सुरक्षा एजेंसियां यह कह कर उन्हें दहशतजदा कर रही हैं कि इस बार एलओसी पर घमासान हो सकते हैं। जबकि इस बार सबसे बड़ा खतरा तालिबानियों को माना जा रहा है।

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