प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष का दूसरा अविश्वास प्रस्ताव, 2018 में 325 सांसदों ने खारिज किया था मोदी को हटाने का प्रस्ताव, जानिए पूरा किस्सा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 26, 2023 11:46 AM2023-07-26T11:46:11+5:302023-07-26T11:49:16+5:30
मणिपुर हिंसा को लेकर संसद में चल रहे भारी गतिरोध के बीच कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव की बाजीगरी पेश की है क्योंकि विपक्षी दलों की मांग के बावजूद पीएम मोदी संसद में मणिपुर पर बयान देने के लिए राजी नहीं हुए।
नयी दिल्ली: संसद के मानसून सत्र में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस नरेद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ले आयी है। मणिपुर हिंसा को लेकर संसद में चल रहे भारी गतिरोध के बीच कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव की बाजीगरी इस कारण पेश की है क्योंकि विपक्षी दलों की मांग के बावजूद पीएम मोदी संसद में मणिपुर पर बयान देने के लिए राजी नहीं हुए।
एक तरफ कांग्रेस पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे की अगुवाई में संसद के पटल पर अविश्वास प्रस्ताव रखा। वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव से बेफिक्र आज सुबह प्रगति मैदान पहुंचे, जहां उन्होंने नये भवन के लिए हवन-पूजा की है। आज ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नये आईटीपीओ कॉम्पेक्स का उद्घाटन करेंगे। जिसे जी20 की बैठकों के लिए लिए खास तौर पर तैयार किया गया है।
आखिर कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव के पीछे क्या मंशा है, क्योंकि ये बात स्पष्ट है कि इस अविश्वास प्रस्ताव से मोदी सरकार को कोई खतरा नहीं है और उसकी साफ वजह है संख्या बल के मामले में कांग्रेस और सारे विपक्षी दल सत्ताधारी भाजपा के सामने कहीं नहीं ठहरते हैं। लेकिन बावजूद उसके कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने बुधवार को सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। विपक्षी गठबंधन इंडिया (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) ने मंगलवार को ही सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला कर लिया था।
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने विपक्ष के इस अविश्वास प्रस्ताव को बुधवार की सुबह 9:20 बजे स्पीकर के कार्यालय में जमा कराया। संसद के नियमों के अनुसार यदि विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव सुबह 10 बजे से स्पीकर के दफ्तर में जमा करा दिया जाता है तो संसद में प्रस्ताव को उसी दिन पेश किया जाता है।
विपक्ष द्वारा इस प्रक्रिया को पूर्ण करने के बाद लोकसभा अध्यक्ष अविश्वास प्रस्ताव का अलोकन करेंगे और देखेंगे कि उसे कम से कम 50 सांसदों का समर्थन प्राप्त है या नहीं। अगर 50 सांसदों का समर्थन प्राप्त है तो वह अविश्वास प्रस्ताव के लिए समय और तारीख का आवंटित करेंगे और अगर 50 सांसदों का समर्थन नहीं है तो स्पीकर उस प्रस्ताव को खारिज कर सकते हैं।
कोई भी सांसद लोकसभा की प्रक्रिया और नियमों के मुताबिक नियम 198 के तहत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है। इसके बाद लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव रखा जाता है और सरकार संसद में अपना बहुमत नहीं सिद्ध कर पाती है तो वह सरकार गिर जाती है और उसे इस्तीफा देना पड़ता है।
जहां तक नरेंद्र मोदी सरकार की बात है तो बीते 9 साल के अब तक के दोहरे कार्यकाल में यह विपक्ष द्वारा लाया गया दूसरा अविश्वास प्रस्ताव है। यानी मोदी सरकार के साल 2014 से 2019 के कार्यकाल में एक और अब यह दूसरा अविश्वास प्रस्ताव है।
इसके पहले विपक्ष 20 जुलाई 2018 को मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला चुका है। औऱ उसमें भाजपा नीत एनडीए को प्रचंड जीत मिली थी। साल 2018 के अविश्वास प्रस्ताव में 325 सांसदों ने अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया और महज 126 सांसद ने अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया था।