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उमर अब्दुल्ला ने धारा 370 पर कहा, "सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसले करे, हमारी लड़ाई जारी रहेगी"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: December 7, 2023 08:37 IST

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने धारा 370 के मुद्दे पर कहा कि वह इस विषय में कानूनी हस्तक्षेप और निर्णयों की परवाह किए बिना राजनीतिक विरोध जारी रखेंगे।

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ठळक मुद्देनेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने धारा 370 के मुद्दे पर दिया नया बयान अब्दुल्ला ने कहा कि वो कानून निर्णयों की परवाह किए बिना राजनीतिक विरोध जारी रखेंगेसुप्रीम कोर्ट 370 पर जैसा भी फैसला दे, इसकी बहाली को लेकर हमारी लड़ाई जारी रहेगी

कुलगाम:सुप्रीम कोर्ट द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को रद्द करने पर अभी तक अपना फैसला सुनाना बाकी है, लेकिन उससे पहले ही नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को इस विषय में कानूनी हस्तक्षेप और निर्णयों की परवाह किए बिना राजनीतिक विरोध जारी रखेंगे।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक उमर अब्दुल्ला ने कुलगाम में कहा, "हम धारा 370 हटाये जाने के खिलाफ सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट गए। उसके बाद दूसरे लोगों ने भी ऐसी ही किया। लेकिन एक बात तो तय है कि सुप्रीम कोर्ट अंततः जो भी फैसला करे, हमारी राजनीतिक लड़ाई 370 की बहाली को लेकर जारी रहेगी।"

इसके साथ अब्दुल्ला ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि उसने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के अपने फैसले से जम्मू-कश्मीर और देश के बाकी हिस्सों के लोगों के बीच संबंधों में खटास पैदा कर दी है।

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि केंद्र इस बात को अच्छे से समझ ले कि पूर्ववर्ती राज्य का विशेष दर्जा रद्द करने के फैसले से कोई भी खुश नहीं है।

मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के तुरंत बाद 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द कर दिया था।

17 अक्टूबर 1949 को संविधान में निहित अनुच्छेद 370 ने पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य को संविधान के प्रावधानों (अनुच्छेद 1 और अनुच्छेद 370 को छोड़कर) से छूट दी और राज्य को अपना संविधान बनाने की अनुमति दी। लंबे समय से लंबित मामले में अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द करने के सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी।

इस मामले में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को भी चुनौती दी गई, जिसके माध्यम से पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया है।

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