केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार (24 दिसंबर) को जनगणना 2021 और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के प्रक्रिया को मंजूरी प्रदान कर दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। भारत के जनगणना 2021 की कवायद के लिये 8,754.23 करोड़ रुपये के खर्च को मंजूरी दी गई। वहीं, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर की प्रक्रिया के लिए 3,941.35 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि जनगणना के लिए कोई लंबा फार्म नहीं भरना होगा। यह स्वयं घोषित स्वरूप का होगा। इसके लिए किसी सबूत की जरूरत नहीं होगी और न ही कोई दस्तावेज देना होगा। इसके लिये एक मोबाइल एप भी बनाया गया है। एनपीआर के उद्देश्यों में कहा गया है कि NPR देश के स्वाभाविक निवासियों का रजिस्टर है।
यह नागरिकता संशोधन कानून 1955 और नागरिकता के नियम 2003 के प्रावधानों के तहत स्थानीय स्तर पर (गांव/उप शहर), उप जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जायेगा। सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, एनपीआर अप्रैल और सितंबर 2020 के बीच असम को छोड़कर देश के अन्य सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होगा। यह जनगणना कार्य के साथ होगा। असम को इससे अलग इसलिये रखा गया है क्योंकि वहां पहले ही राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन (एनआरसी) का कार्य हो गया है।
एनपीआर का मकसद देश के स्वभाविक निवासियों की समग्र पहचान का डाटाबेस तैयार करना है। इसमें भौगोलिक और बायोमेट्रिक जानकारी उपलब्ध होगी। एनपीआर के आंकड़े पिछली बार 2010 में घर की सूची तैयार करते समय लिए गए थे जो 2011 की जनगणना से जुड़े थे । 2015 में घर घर जाकर इन आंकड़ों को अपडेट किया गया था। दूसरी ओर, जनगणना 2021 दो चरणों में होगी। इसमें पहले चरण में घर की सूची या घर संबंधी गणना होगी जो अप्रैल से सितंबर 2020 तक होगी। इसका दूसरा चरण नौ फरवरी से 28 फरवरी 2021 में होगा। इसकी संबद्धता तिथि 1 मार्च 2021 होगी। बर्फ से प्रभावित जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में संबद्धता तिथि 1 अक्तूबर 2020 होगी।