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Neerja Bhanot Birthday: Pan Am Flight 73 - नीरजा के साहस और कुर्बानी का एक मूक गवाह

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: September 07, 2018 9:00 AM

Neerja Bhanot Birth Anniversary: इसी फ्लाइट में देश ने खो दिया था अपनी सबसे बहादुर बेटी नीरजा भनोट को जिसने अपनी ज़िन्दगी अपने जन्मदिन के बस दो दिन पहले देश को रिटर्न गिफ्ट के तौर पर दे दी थी.

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5 सितम्बर 1986 देश को जो घाव दे गया उसका एक मूक गवाह था PAN AM फ्लाइट 73, पैन अमेरिकन वर्ल्ड एयरवेज़ बोइंग 747 - 121 भी रहा है. इसी फ्लाइट में देश ने खो दिया था अपनी सबसे बहादुर बेटी नीरजा भनोट को जिसने अपनी ज़िन्दगी अपने जन्मदिन के बस दो दिन पहले देश को रिटर्न गिफ्ट के तौर पर दे दी थी.

PAN AM के विमान में सवार 360 यात्रियों को मुंबई के सहारा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से कराची के जिन्ना इंटरनेशनल एयरपोर्ट और जर्मनी के फ्रैंकफर्ट एयरपोर्ट से होते हुए न्यूयॉर्क के जॉन एफ कैनेडी एयरपोर्ट जाना था। क्या पता था इसे कि इसकी आज की उड़ान नीरजा सहित कइयों की अपने जीवन की आखिरी उड़ान होगी।

मुंबई से अपनी उड़ान शुरू करके Pan Am Flight 73 सुबह 6 बजे कराची पहुंचा। घटना शुरू हुई उसी वक़्त से जब 4 हाईजैकर्स, जिन्होंने कराची एयरपोर्ट अथॉरिटी गार्ड्स के कपड़े पहने हुए थे, ने एयरपोर्ट के निषेध एरिया से एयरपोर्ट में एंट्री ली. असलहों और बमों से पूरी तरह लैस इन आतंकवादियों का लक्ष्य अपने साइप्रस और इजराइल में बंद साथियों को छुड़ाना था. ये चारों फिलीस्तीनी आतंकवादी the Abu Nidal Organization के सदस्य थे. इस ग्रुप का मुखिया hijacker Zayd Safarini था.

अपनी मांग मनवाने का दबाव डालने के लिए उन्होंने सबसे पहले राजेश कुमार (29-year-old Indian American resident of California) नाम के एक यात्री को गोली मारकर प्लेन से बाहर फेंक दिया और फिर 17 घंटे के बाद जब ईंधन ख़त्म होने पर प्लेन में बिजली की सप्लाई बाधित हुई तो बेसब्री में Zayd Safarini ने उन्होंने मासूम यात्रियों को निशाना बनाना शुरू कर दिया।

361 यात्रियों और 19 क्रू मेंबर्स की जान से खेल कर इन आतंवादियों ने अपनी कायरता की मिसाल कायम कर दी. इस खूनी खेल में नीरजा भनोट सहित 20 यात्रियों की मौत हो गयी और करीब 120 इंजरीस हुई.

केस और सज़ा:

सभी आतंकवादी ज़िंदा पकड़े गए और Zayd Hassan Abd al-Latif Safarini, Wadoud Muhammad Hafiz al-Turki, Jamal Saeed Abdul Rahim, Muhammad Abdullah Khalil Hussain ar-Rahayyal, और Muhammad Ahmed al-Munawar को 6 जुलाई 1988 को सजाए – मौत दे दी गयी. बाद में पाकिस्तान से इस सजा को India और United State की मर्जी के खिलाफ जाकर उम्रकैद में तब्दील कर दिया।

सितम्बर 2001 में इस प्लान के मुखिया Zayd Hassan Abd al-Latif Safarini को FBI को सौप दिया गया. उसे United States ले जाया गया और 13 मई 2005 में उसको 160 साल की कैद की सज़ा सुनाई गयी.

बाकी चारों आतंवादी जनवरी 2008 में Adiala jail Rawalpindi से भाग गए. इनको जो मिलनी थी वो सज़ा नहीं मिली और ना ही मिला उनको इन्साफ जो बेमौत मार दिए गए.

टॅग्स :नीरजा भनोट
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