Neerja Bhanot: भारत की बहादुर बेटी, जिनके साहस को दुनिया ने सलाम किया
By प्रतीक्षा कुकरेती | Published: September 7, 2018 03:27 PM2018-09-07T15:27:42+5:302018-09-07T15:27:42+5:30
नीरजा भनोट का जन्म पंजाब के चंडीगढ़ में 7 सितम्बर 1964 को हुआ था। नीरजा PAN Am 73 एयरलाइंस में एयरहोस्टेस थीं।
नीरजा भनोट ने महज 23 साल की उम्र अपनी जान देकर 360 लोगों की जान बचायी थी। नीरजा ने जिनकी जान बचायी उनमें नवजात बच्चे और महिलाएँ भी थीं। आज (सात सितम्बर) को भारत की इस बहादुर बेटी का जन्मदिन है। आइए हम आपको बताते हैं 'द ब्रेव डॉटर ऑफ़ इण्डिया' के नाम से मशहूर 'नीरजा भनोट' के बलिदान की पूरी कहानी।
नीरजा भनोट का जन्म पंजाब के चंडीगढ़ में 7 सितम्बर 1964 को हुआ था। नीरजा PAN Am 73 एयरलाइंस में एयरहोस्टेस थीं।
नीरजा के जीवन में सबसे बड़ा मोड़ उनके जन्मदिन से बस दो दिन पहले 5 सितंबर को आया। 5 सितंबर 1986 को कुछ आतंकवादियों ने भारत के मुंबई से होते हुए अमेरिका जा रहे PAN AM 73 एयरलाइंस के विमान को चार हथियारबंद आतंकवादियों ने हाईजैक कर लिया था। आतंकवादी प्लेन को 9/11 की तरह इजराइल में क्रैश कराना चाहते थे।
अमेरिका जाने वाला यह विमान कराची और फ्रैंकफर्ट होकर अमेरिका पहुँचने वाला था। आतंकवादियों ने विमान को हाईजैक करके पाकिस्तान के कराची एयरपोर्ट पर सभी यात्रियों को बन्धक बना लिया। अपनी माँग न माने जाने पर आतंकवादियों ने यात्रियों को मारना शुरू कर दिया। लगभग 17 घंटों तक नीरजा आतंवादियों से जूझती उनका ध्यान भटका रही थीं।
कुछ घंटे बाद प्लेन का फ्यूल खत्म हो गया और पूरे प्लेन में अफरातफरी मच गई । प्लेन में अँधेरा छा गया और आंतकियों ने यात्रियों पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। इस बीच नीरजा ने मौका पाकर विमान के दरवाजे खोल दिए और उन्हें बाहर निकालने लगीं।
मरते-मरते बचाया था बच्चों को
आखिर में जब नीरजा खुद बाहर आने लगीं तभी उन्हें एक बच्चे की रोने की अावाज सुनाई पड़ी। नीरजा वापस विमान में उसे बचाने चली गईं। नीरजा जैसे ही बच्चे को बाहर ला रही थीं तभी आतंकवादियों ने नीरजा पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं। जिसके बाद उनकी मौके पर ही मौत हो गई लेकिन नीरजा ने उस बच्चे की जान बचा ली थी।
लगभग 17 घंटों तक मौत से लड़ने वाली नीरजा ने खुद की जान गंवा कर 360 जानों को तो जीत लिया था पर 20 ज़िंदगियाँ पलक झपकते ही खत्म हो गयी थीं। इस मुठभेड़ में सभी आतंकवादी मार दिए गए थे और जाँच में ये बात सामने आयी थी कि सभी दहशतगर्द लीबिया के थे।
नीरजा की बहादुरी को सम्मान देते हुए भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत 'अशोक चक्र' से नवाजा था। नीरजा के नाम से देश में एक डाक टिकट भी ज़ारी किया गया था। मोगा के एक गांव के देशभगत पार्क में उनका एकमात्र स्टेच्यू भी स्थापित किया गया है। वहीं पर 16 फुट लंबा जहाज बनाया गया है।
नीरजा की निडरता और हिम्मत को देखते हुए भारत ने उसे 'द ब्रेव डॉटर ऑफ़ इण्डिया' और पाकिस्तान ने 'तमगा -ए -इंसानियत' के खिताब से नवाजा था।
नीरजा भनोट का बचपन और एजुकेशन
नीरजा का बचपन मुम्बई में बीता। स्कूली शिक्षा बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल से हुई और सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री ली।
नीरजा को बचपन से ही प्लेन में बैठने और आकाश में उड़ने की इच्छा थी। नीरजा भनोट की शादी 1985 में हो गई थी। उनका पति वे शादी के दो महीने बाद ही मुम्बई लौट आई थीं। 1986 में मॉडल के रूप में उन्होंने कई टीवी और प्रिंट ऐड करना शुरू कर दिए थे। शौक को पूरा करने के मकसद से नीरजा ने बाद में एयरलाइंस ज्वाइन कर ली।
नीरजा भनोट के बलिदान को सलाम करते हुए बॉलीवुड में एक मूवी 'नीरजा' बनाई गई। इसमें नीरजा भनोट का किरदार सोनम कपूर ने निभाया था । मूवी को नेशनल अवार्ड से नवाजा गया था। नीरजा भनोट के नाम पर हर साल एक अवार्ड भी दिया जाता है।
लोकमत न्यूज़ हिंदी देश की बहादुर बेटी नीरजा भनोट के जज्बे को सलाम करता है