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नागालैण्ड गोलीबारी: पीड़ितों के परिजनों ने सरकार की सहायता राशि लेने से मना किया, दोषियों को सजा और आफ्स्पा हटाने की मांग

By विशाल कुमार | Updated: December 13, 2021 08:03 IST

ओटिंग ग्राम परिषद ने एक पत्र में कहा है कि जब तक पीड़ितों को न्याय नहीं दिया जाता और सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (आफ्स्पा) को पूरे उत्तर पूर्व से निरस्त नहीं कर दिया जाता, तब तक अनुग्रह राशि स्वीकार नहीं की जाएगी।

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ठळक मुद्देनागालैण्ड में सुरक्षाबलों की गोलीबारी और उसके बाद की हिंसा में 13 लोगों की मौत हुई थीपीड़ितों के परिजनों ने न्याय मिलने और आस्फ्सपा हटाने तक मुआवजा लेने से इनकार कर दिया।

कोहिमा: नागालैण्ड के मोन जिले के ओटिंग गांव के जिन 13 लोगों की मौत सुरक्षाबलों की गोलीबारी और उसके बाद की हिंसा में हुई उन्होंने न्याय मिलने और विवादित आस्फ्सपा कानून को हटाने तक राज्य सरकार द्वारा घोषित किए गए मुआवजे की राशि को लेने से इनकार कर दिया है।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, ओटिंग ग्राम परिषद ने एक पत्र में कहा है कि जब तक पीड़ितों को न्याय नहीं दिया जाता और सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (आफ्स्पा) को पूरे उत्तर पूर्व से निरस्त नहीं कर दिया जाता, तब तक अनुग्रह राशि स्वीकार नहीं की जाएगी।

ग्राम परिषद ने कहा कि मंत्री पाइवांग कोन्याक और मोन के उपायुक्त 5 दिसंबर को उनके सामने 18,30,000 रुपये की राशि लाए। जब उन्हें पता चला कि यह पीड़ित परिवारों और घायल व्यक्तियों के लिए राज्य सरकार की ओर से अनुग्रह राशि की एक किस्त है तब उन्होंने इसे लेने से इनकार कर दिया।

पत्र में आगे कहा गया कि ग्राम परिषद ओटिंग और पीड़ित परिवार तब तक यह राशि स्वीकार नही करेगा जब तक कि भारतीय सशस्त्र बल के 21 पैरा कमांडो के अपराधियों को नागरिक कानूनों के तहत सजा नहीं दी जाती और सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (आफ्स्पा) पूरे उत्तर पूर्वी क्षेत्र से निरस्त नहीं किया जाता है।

बता दें कि, नागालैंड सरकार ने सुरक्षा बलों की गोलीबारी में मारे गए लोगों के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। राज्य सरकार द्वारा घायलों को एक लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। इसके अलावा, केंद्र ने मृतक व्यक्तियों के परिवारों के लिए 11 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और सरकारी नौकरी की भी घोषणा की है।

4 दिसंबर को मोन जिले के ओटिंग गांव में सुरक्षा बलों द्वारा किए गए घात लगाकर किए गए हमले में छह कोयला खदान कर्मियों की मौत हो गई थी। इससे बाद में झड़पें हुईं, जिसमें सात नागरिकों की जान चली गई।

रविवार दोपहर को, भीड़ ने मोन शहर में असम राइफल्स के एक शिविर के कुछ हिस्सों में तोड़फोड़ की और आग लगा दी, जिसमें एक अन्य नागरिक की मौत हो गई।

वहीं, शनिवार को एक बड़ी रैली निकालकर ‘कोन्याक यूनियन’की अगुवाई में आदिवासियों ने गृहमंत्री अमित शाह पर संसद में झूठा और भ्रामक बयान देने के लिए माफी की मांग की और गृहमंत्री का पुतला जलाया।

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