उत्तर प्रदेश पुलिस ने गाजीपुर स्थित एक शेल्टर होम में शुक्रवार (10 अगस्त) को छापा मारकर तीन लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस को सूचना मिली थी कि शेल्टर हौम गैर-कानूनी रूप से संचालित किया जा रहा था। पुलिस की जाँच के दौरान शेल्टर होम में केवल एक महिला और एक नाबालिग लड़की रहते हुए मिले।
बिहार के मुजफ्फरपुर में एक बालिका शेल्टर होम की 34 लड़कियों के साथ सालों तक बलात्कार किए जाने के मामले के सामने आने के बाद पूरे देश में शेल्टर होम में लड़कियों और लड़कों की सुरक्षा का मुद्दा छाया हुआ है।
मुजफ्फरपर के बाद बिहार के ही आरा और मधुबनी इत्यादि जिलों में भी शेल्टर होम में बच्चियों के यौन शोषण के मामले सामने आये हैं।
वहीं उत्तर प्रदेश के देवरिया में भी एक प्रतिबंधित एनजीओ द्वारा चलाए जा रहे शेल्टर होम की नाबालिग लड़कियों से देह व्यापार कराए जाने का मामला सामने आया है।
देवरिया का मामला सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश के उन्नाव में जिलाधिकारी ने एक शेल्टर होम पर छापा मारा तो वहाँ रहने वाली लड़कियाँ नदारद मिलीं और संचालक ने कहा कि वो काम पर गई हैं।
मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से जवाब तलब किया।
इसी बीच मीडिया रिपोर्ट में सामने आया है कि सुप्रीम कोर्ट के देश के सभी राज्यों के शेल्टर होम के सोशल ऑडिट (सामाजिक जाँच) कराने के निर्देश को यूपी और बिहार समेत नौ राज्यों ने मना कर दिया था।
मुजफ्फपुर शेल्टर होम मामला भी टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) द्वारा किए गए ऑडिट में सामने आया था।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर मामले की जाँच सीबीआई को सौंप दी है। मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर से नजदीकी के आरोपों के बीच नीतीश कैबिनेट की मंत्री मंजू वर्मा ने इस्तीफा दिया है।
मीडिया रिपोर्ट से ये बात सामने आई कि मुख्य आरोपी ठाकुर मंजू वर्मा के पति से लगातार फ़ोन पर सम्पर्क में था। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार मंजू वर्मा के पित नियमित तौर पर मुजफ्फरपुर भी जाया करते थे।
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