एमपी में महंगी बिजली बढ़ते घाटे का खेल
2003 के विधानसभा चुनाव में बिजली के मुद्दे पर तत्कालीन कांग्रेस सरकार को सत्ता से बेदखल करने वाली भाजपा के राज में अब सर प्लस बिजली है। प्रदेश की मोहन सरकार का दावा है की मध्य प्रदेश में 28000 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। लेकिन सरकार की बड़े बकायादारों पर मेहरबानी ने कैसे बिजली कंपनियों को करोड़ों के घाटे में ला दिया। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2024 में 22220 मेगावाट का बिजली उत्पादन हुआ है। सरकार ने बिजली की मांग को पूरा करने के लिए 12485 मेगावाट बिजली खरीदी के अनुबंध किए हैं।
कैसे बढ़ रहा कंपनियों का घाटा
लेकिन इन सब के बीच में आज हम आपको बताते हैं कि कैसे सरकार की गलत नीतियों के कारण बिजली कंपनियां करोड़ों रुपए के घाटे में पहुंच गई। आम उपभोक्ता से बिजली बिल की वसूली के लिए दबाव डालने वाली कंपनियों की बड़े बकायादारों पर किस तरीके से मेहरबानियां हैं। सरकार की एक रिपोर्ट में बताया गया है की मध्य प्रदेश की तीनों बिजली कंपनियां करोड़ों रुपए के घाटे में है और कंपनियों के बढ़ते घाटे की सबसे बड़ी वजह सरकारी विभागों और औद्योगिक संस्थानों पर करोड़ों रुपए के बिल बकाया होना है जिसकी वसूली करने में बिजली कंपनियों को भी पसीना छूट रहा है।
अब हम आपको आंकड़ों के जरिए बताते हैं कि मध्य प्रदेश में बिजली की मांग आपूर्ति के बीच कैसे बिजली कंपनियों का घाटा साल दर साल बढ़ रहा है।
मध्य प्रदेश में सरकारी विभागों पर बिजली कंपनियों का कुल बकाया 2087.80 लाख रुपए है। जबकि औद्योगिक संस्थानों पर 1406.93 लाख बकाया है।
मध्य क्षेत्र बिजली कंपनी का घाटा अकेले 26662.76 करोड़ है।
सरकार के तकनीकी हानियों को कम करने के दावे भी फेल साबित हुए जिसके कारण हर साल बिजली कंपनियों को करोड़ों का घाटा हो रहा है।
अब हम आपको बताते हैं कि मध्य प्रदेश में मौजूदा बिजली का टैरिफ क्या है0 से 50 यूनिट तक की दर 4.27 रुपए है.
51 से 150 यूनिट 5.23 रुपए है.
151 से 300 यूनिट 6.61 रुपए है.
300 यूनिट से ज्यादा खपत वाले उपभोक्ताओं के लिए दर 6.80 रुपए है.बिजली कंपनियों ने बिजली दरें बढ़ाने की आयोग से की मांग
कंपनियों के बढ़ते घाटे को पूरा करने के लिए बिजली कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग को बिजली की दरें बढ़ाए जाने का प्रस्ताव दिया है आयोग के फैसले के बाद नई दरें एक मार्च से लागू होंगी। बिजली कंपनियों ने किसानों को दी जाने वाली बिजली पर 35 पैसे प्रति यूनिट और फिक्स्ड चार्ज में ₹14 की बढ़ोतरी करने का प्रस्ताव दिया है प्रस्ताव यदि मंजूर होता है तो बिजली के बड़े दामों का झटका आम उपभोक्ताओं के साथ किसानों को भी लगेगा।
कुल मिलाकर सरकार के बिजली कंपनियों को घाटे से उबारने के तमाम दावों के बीच हर साल बिजली कंपनियों का घटा करोड़ों रुपए में बढ़ रहा है एक तरफ जहां बिजली कंपनियों बड़े बकायादारों से वसूली में विफल साबित हो रही है। वही सरकार की देनदारी भी हर साल बढ़ रही है मतलब साफ है मध्य प्रदेश में बिजली प्रबंध को लेकर सरकार की रीति नीति बिजली कंपनियों को घाटे के साथ आम उपभोक्ताओं को भी बिजली बिलों से परेशान कर रही है।