नई दिल्ली: सरकार ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों का हवाला देते हुए बुधवार को संसद को बताया कि पिछले साल देशभर में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के कुल 371,503 मामले दर्ज किए गए थे।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अपराधों में बलात्कार, महिला की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग, दहेज हत्या, उत्पीड़न, एसिड हमले और अपहरण के मामले शामिल हैं।
महिला और बाल विकास मंत्रालय ने राज्यसभा में माकपा सांसद झरना दास बैद्य के एक सवाल के जवाब में डेटा साझा किया। बैद्य ने पिछले साल के महिलाओं के खिलाफ अपराधों के आंकड़ों के बारे में जानना चाहा था।
आंकड़ों से पता चलता है कि 2020 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के संबंध में 398,620 लोगों को गिरफ्तार किया गया, 488,143 के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया गया और 31,402 को दोषी ठहराया गया। इसके अलावा, शहरों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में पिछले वर्ष की तुलना में 2020 में 8.3 फीसदी की कमी आई है।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 49,385 मामले सामने आए, इसके बाद पश्चिम बंगाल (36,439), राजस्थान (34,535), महाराष्ट्र (31,954) और मध्य प्रदेश (25,640) हैं।
सितंबर में जारी एनसीआरबी की रिपोर्ट और बुधवार को सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अपराधों के अधिकांश मामले पति या उनके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता (30.2 फीसदी) के तहत दर्ज किए गए थे, इसके बाद शील भंग करने के लिए महिलाओं पर हमले (19.7 फीसदी), महिलाओं का अपहरण और बंधक बनाना (19.0 फीसदी) और बलात्कार (7.2 फीसदी) के तहत मामले दर्ज किए गए थे।
मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने जांच की निगरानी के लिए एक ऑनलाइन विश्लेषणात्मक उपकरण, यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग प्रणाली को लागू किया है। अलग से यौन अपराधियों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाया गया है।