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Morbi bridge collapse: मोरबी पुल हादसा मामले में आरोप पत्र दाखिल, ओरेवा ग्रुप के मालिक समेत 10 लोगों को बनाया आरोपी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 27, 2023 20:00 IST

मोरबी में मच्छू नदी पर बने ब्रिटिश काल के इस झूला पुल के संचालन और रख-रखाव की जिम्मेदारी अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड (ओरेवा ग्रुप) की थी।

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ठळक मुद्देआरोप पत्र में नामजद नौ आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका हैदसवें आरोपी के रूप में ओरेवा समूह के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल का नामयह पुल मरम्मत के कुछ दिन बाद ही पिछले साल 30 अक्टूबर को गिर गया था

मोरबी:गुजरात के मोरबी शहर में पिछले साल अक्टूबर में एक झूला पुल गिरने की घटना में पुलिस ने शुक्रवार को आरोप पत्र दाखिल कर दिया। इस हादसे में 135 लोग मारे गए थे और कई अन्य लोग घायल हो गये थे। पीड़ितों की ओर से पक्ष रख रहे अधिवक्ता दिलीप आगेचनिया ने कहा कि आरोप पत्र में नौ गिरफ्तार किये जा चुके आरोपियों के अलावा ओरेवा समूह के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल का नाम दसवें आरोपी के तौर पर शामिल किया गया है। एक मजिस्ट्रेट अदालत पहले ही पटेल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर चुकी है। 

मोरबी में मच्छू नदी पर बने ब्रिटिश काल के इस झूला पुल के संचालन और रख-रखाव की जिम्मेदारी अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड (ओरेवा ग्रुप) की थी। यह पुल मरम्मत के कुछ दिन बाद ही पिछले साल 30 अक्टूबर को गिर गया था। पुलिस उपाधीक्षक पी एस जाला ने मोरबी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एम जे खान की अदालत में 1,200 से अधिक पन्नों का आरोप पत्र दायर किया। जाला मामले के जांच अधिकारी हैं। 

आगेचनिया ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ओरेवा समूह के जयसुख पटेल को शुक्रवार को मजिस्ट्रेट के समक्ष दायर आरोप पत्र में दसवें आरोपी के तौर पर दर्शाया गया है, जिनका नाम पुलिस ने प्राथमिकी में शुरुआत में नहीं दर्ज किया था। 1,200 से अधिक पन्नों के आरोप पत्र में 300 से अधिक गवाहों के बयान हैं।’’ 

पुल हादसे के एक दिन बाद 31 अक्टूबर को मोरबी पुलिस ने ओरेवा समूह के दो प्रबंधकों, दो टिकट लिपिकों समेत नौ लोगों को गिरफ्तार किया था। इसी अदालत ने दो सप्ताह पहले हादसे के सिलसिले में ओरेवा समूह के प्रबंध निदेशक पटेल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। उनकी अग्रिम जमानत अर्जी पर एक फरवरी को सुनवाई होगी। 

पटेल सहित सभी दस आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 336 (मानव जीवन को खतरे में डालने वाला कार्य), 337 (उतावलापन या लापरवाही वाला कृत्य करके किसी भी व्यक्ति को चोट पहुंचाना) और 338 (उतावलेपन या लापरवाही से कार्य करके गंभीर चोट पहुंचाना) के तहत मामले दर्ज किये गये हैं। 

गुजरात उच्च न्यायालय में बुधवार को घटना पर स्वत: संज्ञान लेते हुए की गयी सुनवाई के दौरान ओरेवा समूह ने पीड़ितों को मुआवजा देने की पेशकश की थी। हालांकि, अदालत ने साफ किया कि मुआवजे से किसी तरह की जवाबदेही खत्म नहीं हो जाएगी। राज्य सरकार द्वारा गठित एक विशेष जांच दल ने हादसे के बाद कंपनी की अनेक खामियों की ओर इशारा किया था। 

टॅग्स :गुजरातकोर्ट
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