लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के मुद्दे पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए मोदी सरकार यूसीसी की बाजीगरी का खेल खेल रही है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बीते रविवार को एआईएमपीएलबी सदस्यों से मुलाकात की और उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री को देश में यूसीसी लागू करने के केंद्र के प्रस्तावित कदम के खिलाफ एक ज्ञापन भी सौंपा। इस मौक पर अखिलेश यादव ने मुस्लिम संगठन के सदस्यों को आश्वासन दिया कि समाजवादी पार्टी हर मोर्चे पर यूसीसी का विरोध करेगी।
समाचार वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार एआईएमपीएलबी सदस्य खालिद रशीद फरंगी महली की अगुवाई में प्रतिनिधिमंडल ने लखनऊ में सपा नेता से मुलाकात की। अखिलेश ने इस मुलाकात के दौरान मुस्लिम नेताओं से कहा, "समाजवादी पार्टी का स्पष्ट मानना है कि न केवल मुस्लिम बल्कि सभी धर्मों के अनुयायियों को अपने व्यक्तिगत कानूनों का पालन करने का अधिकार होना चाहिए।"
इसके साथ ही उन्होंने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को आरोपों के कटघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया कि केंद्र की सत्तारूढ़ भाजपा और उसके मुखिया नरेंद्र मोदी यूसीसी जैसे विवादित विषयों को उठाकर जनता का ध्यान वास्तविक मुद्दों से भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।
अखिलेश यादव के साथ बैठक खत्म होने के बाद एआईएमपीएलबी के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा, ''सपा प्रमुख अखिलेश यादव से यूसीसी के मुद्दे पर हमने मुलाकात की और इसके विरोध में कई मुद्दों पर चर्चा हुई।''
एआईएमपीएलबी की ओर से सपा को दिये ज्ञापन में कहा गया है कि भारत जैसे देश में यूसीसी की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है और न ही इससे मुल्क को कोई फायदा होने वाला है, बल्कि इसके लागू होने से धर्मनिरपेक्षता की साझी विरासत को नुकसान पहुंचने का खतरा है।
ज्ञापन में कहा गया है, “देश के संविधान ने धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक पहचान को सुरक्षा दी है। देश के प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म के अनुसार आस्था रखने, उसका पालन करने और उसका प्रचार-प्रसार करने का अधिकार दिया गया है। इसके तहत अल्पसंख्यकों और आदिवासियों के व्यक्तिगत कानूनों को विशेष सुरक्षा प्राप्त है और पारिवारिक मामलों में प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने की अनुमति है।"
एआईएमपीएलबी प्रतिनिधिमंडल में शामिल मौलाना महली ने कहा, “मुस्लिम पर्सनल लॉ इस्लामी शरीयत का हिस्सा है, जिसकी नींव कुरान पाक और हदीस रसूल है। इस कारण हम स्वयं भी इसमें कोई परिवर्तन नहीं कर सकते हैं और न ही किसी को इसमें परिवर्तन करने की अनुमति दी जा सकती है। यूसीसी अल्पसंख्यकों और आदिवासियों के मौलिक अधिकारों को छीनने का एक प्रयास है और निंदनीय है।"