नई दिल्ली: समुद्र में भारतीय नौसेना की ताकत में एक बार फिर जोरदार इजाफा हुआ है। स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित विमान वाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत पर MH60R हेलीकॉप्टर ने पहली बार लैंडिंग की। भारतीय नौसेना ने इसे एक मील का पत्थर बताया है। MH60R हेलीकॉप्टर समुद्र की गहराई में पनडुब्बियों पर निशाना लगा कर उन्हें ध्वस्त करने में माहिर है। अब भारतीय नौसेना की एंटी-सबमरीन वारफेयर और फ्लीट सपोर्ट क्षमता में बड़ा इजाफा हुआ है।
पिछले कुछ सालों में हिंद महासागर में कई बार चीनी पनडुब्बियों की मौजूदगी देखी गई है। अब आईएनएस विक्रांत पर MH60R हेलीकॉप्टर की सफल लैंडिंग से ये सुनिश्चित हो गया है कि किसी आपात परिस्थिति में एंटी-सबमरीन वारफेयर में भारतीय नौसेना के पास जवाब देने के लिए माकूल हथियार हैं।
बता दें कि हाल फिलहाल नौसेना ने अपनी युद्धक क्षमता बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए हैं। इसमें मिसाइलों की सफल टेस्ट फायरिंग और युद्धपोतों से लेकर पनडुब्बियों का परीक्षण शामिल है। हाल ही में भारतीय नौसेना ने एक खास उपलब्धि हासिल करते हुए स्वदेशी मिसाइल विध्वंसक आईएनएस मोरमुगाओ से समुद्र की सतह पर सुपरसोनिक गति से तैर रहे लक्ष्य को एक ही वार में ध्वस्त कर दिया। ब्रह्मोस और बराक-8 जैसी मिसाइलों से लैस स्वदेशी मिसाइल विध्वंसक आईएनएस मोरमुगाओ से हासिल की गई ये उपलब्धि समंदर में भारत की बढ़ती ताकत को दिखाता है।
हाल के दिनों में भारतीय नौसेना को मजबूत करने के कई प्रयास हुए हैं। भारतीय नौसेना को मजबूत करने के लिए प्रोजेक्ट-75 के तहत बनाई जा रही 6 पनडुब्बियों की छठी और अंतिम कलवारी श्रेणी की पनडुब्बी वाग्शीर ने अपना समुद्री परीक्षण शुरू कर दिया है। परीक्षण पूरा होने के बाद वाग्शीर को साल 2024 में भारतीय नौसेना को सौंप दिया जाएगा।
रक्षा विशेषज्ञ ये भी कहते हैं कि भारत को अगला युद्ध चीन और पाकिस्तान से एक साथ लड़ना होगा। इसे देखते हुए नौसेना के मजबूत करने की काम किया जा रहा है।