#MeToo मूवमेंट के तहत यौन शोषण के आरापों से घिरे एमजे अकबर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सलाह पर बुधवार को केन्द्रीय मंत्रिपरिषद से एमजे अकबर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज किया था। दिल्ली पटियाला कोर्ट में उस मामले की आज( 18 अक्टूबर) को सुनवाई होगी। #MeToo मूवमेंट में एमजे अकबर का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में रहा। आइए जानते हैं इस पूरे मामले में अब-तक क्या हुआ...
- इस्तीफा के बाद एमजे अकबर का बयान
एमजे अकबर ने इस्तीफे के बाद बयान, ''चूंकि मैंने निजी तौर पर कानून की अदालत में न्याय पाने का फैसला किया है, इसलिए मुझे यह उचित लगा कि मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूं। मैं, अपने खिलाफ लगाए गए झूठे आरोपों को निजी तौर पर चुनौती दूंगा। इसलिए अत मैं विदेश राज्य मंत्री पद से त्यागपत्र देता हूं'' राष्ट्रपति भवन से जारी एक बयान में बताया गया, ''भारत के राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 75 के उपबंध (2) के तहत प्रधानमंत्री की सलाह पर केन्द्रीय मंत्री परिषद से एमजे अकबर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अकबर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। स्थापित प्रक्रिया के अनुरूप उसे राष्ट्रपति के पास भेजा गया।
तकरीबन 20 महिलाओं ने उनके खिलाफ लगाए यौन शोषण के आरोप
पिछले कुछ दिनों में एमजे अकबर पर पत्रकार प्रिया रमानी के अलावा यूके बेस्ड पत्रकार रुथ डेविड, यूएस बेस्ड पत्रकार डीपी कांप , सबा नकवी, संपादक गज़ाला वहाब, सुतापा पॉल, शुमा राहा, फ्रीलांस जर्नलिस्ट कनिका गहलोत, प्रेरणा सिंह बिंद्रा, कादंबरी वेड, सुपर्णा शर्मा सहित तकरीबन 20 महिलाओं ने अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं।
इस्तीफे की उठी थी मांग
इन आरोपों के बाद विपक्षी पार्टियों ने अकबर से इस्तीफे की मांग की थी। कांग्रेस का कहना था कि मोदी कैबिनेट को अकबर को अपने पद ने हटा देना चाहिए। कई शिकायतकर्ताओं के साथ-साथ राजनीतिक पार्टियों ने भी तत्काल अकबर के इस्तीफे का स्वागत किया है।
पीड़ित महिलाओं ने इस्तीफे के बाद कहा- इससे अकबर के आरापों की पुष्टि होती है।
एम जे अकबर के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाने वाली कुछ महिला पत्रकारों ने बुधवार को उनके इस्तीफे का स्वागत किया और कहा कि इससे उनके आरोपों की पुष्टि होती है। लेकिन साथ ही कहा कि उन्हें आगे लंबी लड़ाई लड़नी है।
जिसेक खिलाफ अकबर ने मानहानि का केस दर्ज किया है, प्रिया रमानी ने कहा कि उन्हें उस दिन का इंतजार है जब अदालत में उन्हें न्याय मिलेगा। उन्होंने कहा, ''अकबर के इस्तीफे से हमारे आरोपों की पुष्टि होती है। मुझे उस दिन का इंतजार है जब मुझे अदालत में भी न्याय मिलेगा।'' अकबर के खिलाफ आरोप लगाने वाली सुपर्णा शर्मा ने भी इस्तीफे का स्वागत किया।
बीजेपी ने अकबर पर बोलने से बचते दिखें
यौन शोषण के आरोप लगने के बाद बीजेपी के सारे दिग्गज नेता इसपर बयान देने से बचते नजर आ रहे थे। अमित शाह ने कहा था कि अगर अकबर के खिलाफ लगाए गए सारे इल्जाम सच हुए तो कार्रवाई होगी। वहीं, स्मृति ईरानी ने कहा था, 'स्मृति ईरानी ने कहा, "जिन पर आरोप लगे हैं, इस मुद्दे पर बोलने के लिए वह मुझसे बेहतर स्थिति में वही होंगे।'
1989 से राजनीति में एमजे अकबर एम जे अकबर ने एशियन ऐज, द टेलीग्राफ और पत्रिका संडे जैसी बड़ी मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। अकबर 1989 में राजनीति में आने से पहले मीडिया में एक बड़ी हस्ती के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था और सांसद बने थे। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से अकबर बीजेपी में शामिल हो गए थे। मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य अकबर जुलाई 2016 से विदेश राज्य मंत्री थे।
- वीडियो में देखें 11 महिला पत्रकारों ने क्या-क्या आरोप लगाए
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट)