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न्यायपालिका में नियुक्ति में अन्य कारकों के बजाय मेधा सर्वोपरि होनी चाहिए: न्यायमूर्ति नरीमन

By भाषा | Updated: August 12, 2021 21:26 IST

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नयी दिल्ली, 12 अगस्त उच्चतम न्यायालय में सात साल सेवाएं देने के बाद बृहस्पतिवार को सेवानिवृत्त हुए न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन ने बृहस्पतिवार को कहा कि न्यायपालिका में नियुक्ति में अन्य कारकों के बजाय मेधा सर्वोपरि होनी चाहिए।

उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा आयोजित अपने विदाई समारोह में न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि किसी की इस अदालत में आने की ‘विधिसम्मत अपेक्षा’ नहीं होती। मेरा मानना है कि भारत के लोगों में और मुकदमा दायर करने वाले लोगों में ‘विधिसम्मत अपेक्षा’ इस अंतिम अदालत से गुणवत्तापरक न्याय पाने की होती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए, यह बहुत स्पष्ट है कि अन्य पहलुओं के अलावा मेधा ही सर्वोपरि होनी चाहिए। मेधा हमेशा पहले आती है।’’

जानेमाने विधिवेत्ता फली नरीमन के बेटे न्यायमूर्ति रोहिंटन नरीमन ने कहा, ‘‘यह समय है कि इस पीठ में और अधिक सीधी पदोन्नतियां हों। मैं यह भी कहूंगा और उन्हें सलाह दूंगा, जिन्हें सीधी नियुक्ति का अवसर मिलता है, कभी ‘नहीं’ मत कहिए। यह उनकी पवित्र जिम्मेदारी है कि इस पेशे से जितना कुछ मिला है, उसे लौटायें ।’’

शीर्ष अदालत में न्यायाधीश के रूप में अपने सात साल के अनुभव पर टिप्पणी करते हुये न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा कि ये उनके जीवन के सर्वाधिक दुष्कर साल थे।

न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा, ‘‘यह आसान काम नहीं है। जब मैं बार में (वकील) था तो मुझे दूसरी ओर (न्यायाधीश पक्ष) की स्थिति के बारे में कोई अनुमान नहीं था। यह पक्ष (न्यायाधीश) कहीं ज्यादा कठिन है। आपको बहुत ज्यादा पढ़ना होता है। मैंने फैसले लिखने का आनंद उठाया और अंत में सब कुछ ठीक रहा।’’

नरीमन सात जुलाई, 2014 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बने आर उन्हाने 13,500 से ज्यादा मामलों का निस्तारण किया है और उन्होंने निजता को मौलिक अधिकार घोषित करने, सहमति से समलैंगित यौन संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर रखने, गिरफ्तारी का अधिकार देने वाले सूचना प्रौद्योगिकी कानून के प्रावधान निरस्त करने और केरल के सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने वाले फैसले भी शामिल थे।

न्यायमूमर्ति नरिमन का जन्म 13 अगस्त, 1956 को हुआ था। वह 1993 में वरिष्ठ अधिवक्ता मनोनीत हुए और सात जुलाई 2014 को शीर्ष अदालत का न्यायाधीश बनने से पहले 27 जुलाई, 2011 को सॉलिसीटर जनरल नियुक्त हुए थे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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