मुंबई, 16 अगस्त राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने सोमवार को दावा किया कि पिछले सप्ताह राज्यसभा में हंगामे के दौरान मार्शलों द्वारा किया गया बल प्रयोग “सांसदों पर परोक्ष रूप से किया गया हमला” था।
उन्होंने कहा कि अगर सात केंद्रीय मंत्रियों को मीडिया के सामने आकर सरकार का पक्ष लेना पड़ रहा है तो इसका मतलब है कि उनकी स्थिति कमजोर है।
पवार ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उनके 54 साल के संसदीय जीवन में उन्होंने सत्र के दौरान कभी 40 मार्शलों को सदन में घुसते नहीं देखा। पवार ने कहा कि सत्र के दौरान सदन में “बाहरी” लोगों के घुसने के आरोप की जांच होनी चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि पेगासस के मुद्दे पर बनी संसदीय समिति में अभिषेक मनु सिंघवी, पी चिदंबरम और कपिल सिब्बल में से किसी एक को शामिल किया जाना चाहिए।
सदन में हंगामे के मुद्दे पर पवार ने कहा, “हमें बताया गया कि संविधान संशोधन के कुछ विधेयक हैं। विपक्ष ने कहा कि पेगासस के मुद्दे पर चर्चा का कोई उल्लेख नहीं है। जो भी हुआ, वह मेरे सामने हुआ क्योंकि मेरी सीट आगे है। कुछ सदस्य वेल में गए।”
उन्होंने कहा, “40 मार्शलों को बुलाया गया, जिन्होंने सांसदों को धकेला। उनमें दो महिला सांसद शामिल थीं। बहुत से लोग उनकी मदद करने के लिए आए। मार्शलों ने बल प्रयोग किया जो सांसदों पर परोक्ष रूप से किया गया हमला था।” उन्होंने कहा कि संजय राउत (राज्यसभा में शिवसेना नेता) को मार्शलों ने उठा लिया था।
रविकार को सात केंद्रीय मंत्रियों ने राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू से मुलाकात कर सदन में 11 अगस्त को किये गए उपद्रवी कृत्य के लिये विपक्ष के कुछ सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।
पवार ने कहा, “अगर सात केंद्रीय मंत्रियों को मीडिया के सामने आकर सरकार का बचाव करना पड़ रहा है तो इससे पता चलता है कि उनकी स्थिति कमजोर है। सरकार विपक्षी सांसदों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है, लेकिन यह लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक है।
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