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Marital Rape पर कोर्ट से बोली केंद्र सरकार- इसे माइक्रोस्कोपिक ऐंगल से नहीं देखा जा सकता, दांव पर है महिला का सम्मान

By मनाली रस्तोगी | Updated: January 25, 2022 11:03 IST

दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार ने वैवाहिक दुष्कर्म यानी मैरिटल रेप को लेकर कहा कि इसे माइक्रोस्कोपिक ऐंगल से नहीं देखा जा सकता...यहां महिला का सम्मान दांव पर है और पारिवारिक मामले भी हैं। ऐसे में केंद्र के लिए तत्काल जवाब देना संभव नहीं होगा।

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ठळक मुद्देमैरिटल रेप को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि इसे अपराध बनाने 'परिवार के मामले' के साथ महिला के सम्मान का भी मुद्दा जुड़ा हुआ हैसरकार का कहना है कि इस मामले को माइक्रोस्कोपिक ऐंगल से नहीं देखा जा सकता हैभारत में मैरिटल रेप के लिए सजा का कोई प्रावधान नहीं है

नई दिल्ली: वैवाहिक दुष्कर्म यानी मैरिटल रेप को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि इसे अपराध बनाने 'परिवार के मामले' के साथ महिला के सम्मान का भी मुद्दा जुड़ा हुआ है। यही नहीं, सरकार ये भी कहना है कि इस मामले को माइक्रोस्कोपिक ऐंगल से नहीं देख सकते हैं। वहीं, केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सोमवार को कोर्ट से हितधारकों के साथ परामर्श के बाद सरकार की स्थिति को रखने के लिए "उचित समय" की अनुमति देने का आग्रह किया।

कोर्ट से उन्होंने कहा, "आपके आधिपत्य केवल एक प्रावधान की वैधानिक या संवैधानिक वैधता तय नहीं कर रहे हैं। इसे माइक्रोस्कोपिक ऐंगल से नहीं देखा जा सकता...यहां महिला का सम्मान दांव पर है। पारिवारिक मामले भी हैं। कई ऐसे विचार होंगे जिनपर सरकार को विमर्श करने होंगे ताकि आपके लिए सहायक रुख तय किया जा सके।" अपनी बात को जारी रखते हुए कहा, "केंद्र के लिए तत्काल जवाब देना संभव नहीं होगा, खासतौर पर तब जब किसी को इस बीच कोई गंभीर खतरा नहीं होने वाला है। मैं अपना अनुरोध दोहराना चाहूंगा कि हमें उचित समय की आवश्यकता होगी।"

वहीं, न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने वैवाहिक बलात्कार को अपवाद बनाने वाले कानून के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह की सुनवाई करते हुए कहा कि इस मुद्दे को लटकाए नहीं रखा जा सकता। बता दें कि मैरिटल रेप के बारे में ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं है। जब अपनी की बिना सहमति से कोई पति सेक्सुअल रिलेशन बनाता है तो इसे मैरिटल रेप कहा जाता है। भारत में फिलहाल इसके लिए सजा का कोई प्रावधान नहीं है।

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