लाइव न्यूज़ :

हिंदी के प्रख्यात मार्क्सवादी आलोचक मैनेजर पाण्डेय का निधन, 81 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, कल होगा अंतिम संस्कार

By विमल कुमार | Published: November 06, 2022 12:39 PM

नामवर सिंह के बाद की पीढ़ी के शीर्ष वामपंथी आलोचकों में शामिल रहे मैनेजर पाण्डेय का निधन रविवार सुबह हो गया। मैनेजर पाण्डेय का जन्म बिहार के गोपालगंज जिले के लोहाटी गांव में 1941 में हुआ था।

Open in App
ठळक मुद्देमैनेजर पाण्डेय का जन्म बिहार के गोपालगंज जिले के लोहाटी गांव में 1941 में हुआ था।हिंदी के प्रख्यात मार्क्सवादी आलोचक, नामवर सिंह के बाद की पीढ़ी के शीर्ष वामपंथी आलोचकों में थे शामिल।मैनेजर पाण्डेय जेएनयू में भारतीय भाषा केन्द्र के अध्यक्ष भी रहे, पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे।

नई दिल्ली: हिंदी के प्रख्यात मार्क्सवादी आलोचक एवं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा केंद्र के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर मैनेजर पाण्डेय का रविवार सुबह यहां निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे और पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे तथा आईसीयू में भर्ती भी थे। पाण्डेय के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा दो बेटियां भी हैं। उनका अंतिम संस्कार सोमवार शाम 4 बजे लोदी रोड स्थित शव दाह गृह में किया जाएगा।

जन संस्कृति मंच जनवादी लेखक संघ जैसे प्रमुख वामपंथी लेखक संगठनों तथा जाने माने लेखकों ने मैनेजर पाण्डेय के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।

मैनेजर पाण्डेय: बिहार के गोपालगंज में हुआ जन्म

बिहार के गोपालगंज जिले के लोहाटी गांव में 23 सितम्बर, 1941 को जन्मे पाण्डेय दरअसल नामवर सिंह के बाद की पीढ़ी के शीर्ष वामपंथी आलोचक थे। उनकी आरम्भिक शिक्षा गाँव में तथा उच्च शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हुई, जहाँ से उन्होंने एम.ए. और पीएच. डी. की उपाधियाँ प्राप्त कीं। 

वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भाषा संस्थान के भारतीय भाषा केन्द्र में हिन्दी के प्रोफेसर रहे। वे जेएनयू में भारतीय भाषा केन्द्र के अध्यक्ष भी थे। इसके पूर्व वह बरेली कॉलेज, बरेली और जोधपुर विश्वविद्यालय में भी प्राध्यापक रहे। उन्हें दिनकर सम्मान तथा हिंदी अकादमी के शलाका सम्मान से नवाजा गया था।

'मुगल बादशाहों की हिंदी कविता' चर्चित कृति

वे भक्तिकाल और सूर साहित्य के विशेषज्ञ थे। 'साहित्य और इतिहास दृष्टि' तथा साहित्य में समाज शास्त्र भूमिका एवम 'शब्द और कर्म' पुस्तक से उनको ख्याति मिली थी। 'मुगल बादशाहों की हिंदी कविता' उनकी चर्चित कृति थी। वे जनसंस्कृति मंच के अध्यक्ष भी थे।

हिंदी के प्रख्यात आलोचक नामवर सिंह ही पाण्डेय की प्रतिभा को पहचान कर उन्हें 1977 में जवाहर लाल नेहरू विश्विद्यालय में हिंदी विभाग में लाये थे।

टॅग्स :हिंदी साहित्यनामवर सिंहहिन्दी
Open in App

संबंधित खबरें

भारतDELHI News: ‘हिन्दी पाठक को क्या पसन्द है’ विषय पर परिचर्चा, लेखक जो लिखे उस पर वह भरोसा कर सके...

भारतराजकमल प्रकाशन दिवस पर विचार पर्व ‘भविष्य के स्वर’ का आयोजन, 77वाँ सहयात्रा उत्सव

ज़रा हटकेमौत की खबर से भड़की पंचायत 2 एक्ट्रेस, बोलीं- "मैं जिंदा हूं, सही सलामत हूं"

भारतब्लॉग: भाषा से ही अस्तित्व अर्थवान होता है!

भारतWorld Book Fair 2024 in New Delhi: विश्व पुस्तक मेला का तीसरा दिन, नासिरा शर्मा, चंचल चौहान, सॉनेट मंडल और अदनान कफील दरवेश की किताबों का लोकार्पण

भारत अधिक खबरें

भारतVIDEO: 'मैं AAP को वोट दूंगा, अरविंद केजरीवाल कांग्रेस को वोट देंगे', दिल्ली की एक चुनावी रैली में बोले राहुल गांधी

भारत'मोदी सरकार पाकिस्तान के परमाणु बमों से नहीं डरती, पीओके वापस लेंगे', झांसी में बोले अमित शाह

भारतUP Lok Sabha election 2024 Phase 5: राजनाथ, राहुल और ईरानी की प्रतिष्ठा दांव पर!, लखनऊ, रायबरेली, अमेठी, कैसरगंज, फैजाबाद, कौशांबी सीट पर 20 मई को पड़ेंगे वोट

भारतस्वाति मालीवाल को लेकर पूछे गए सवाल पर भड़क गए दिग्विजय सिंह, बोले- मुझे इस बारे में कोई बात नहीं करनी

भारतUP Lok Sabha Elections 2024: भाजपा को आखिर में 400 पार की आवश्‍यकता क्‍यों पड़ी, स्वाति मालीवाल को लेकर पूछे सवाल का दिग्विजय सिंह ने नहीं दिया जवाब