मुंबईः शिवसेना (उबाठा) नेता विनायक राउत ने महाराष्ट्र के मत्स्य पालन और बंदरगाह विकास मंत्री नितेश राणे को उनके उस कथित बयान के लिए कानूनी नोटिस भेजा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकारी धन केवल सत्तारूढ़ गठबंधन से जुड़े लोगों को आवंटित किया जाएगा। अधिवक्ता असीम सरोद के माध्यम से भेजे गए कानूनी नोटिस में राणे पर मंत्री के रूप में अपने संवैधानिक कर्तव्य का पालन नहीं करने और भेदभावपूर्ण बयान देने का आरोप लगाया गया है। नोटिस के अनुसार, राणे ने सिंधुदुर्ग के कुडाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की एक सभा को संबोधित किया था, जिसके दौरान उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को आश्वासन दिया था कि जिला योजना समिति के अंतर्गत आने वाले धन सहित सरकारी धन ‘महायुति’ के पदाधिकारियों और संस्थाओं को आवंटित किया जाएगा।
राणे ने कहा था कि जिन गांवों में विपक्षी महा विकास आघाड़ी के प्रतिनिधि हैं, उन्हें तब तक इनसे वंचित रखा जाएगा, जब तक वे सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल नहीं हो जाते। पूर्व लोकसभा सदस्य विनायक राउत ने नोटिस में कहा, ‘‘इस तरह के बयान संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत, विभाजनकारी और लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करते हैं।
एक मंत्री सभी नागरिकों की निष्पक्ष रूप से सेवा करने की शपथ लेता है, लेकिन नितेश राणे इस जिम्मेदारी को भूल गए हैं।’’ राउत को 2024 के लोकसभा चुनाव में नितेश राणे के पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग से हराया था। पूर्व सांसद राउत ने कहा कि आम चुनावों के दौरान नितेश राणे ने ग्रामीणों को चेतावनी दी थी कि यदि उन्होंने नारायण राणे को वोट नहीं दिया, तो उन्हें सरकारी सहायता नहीं मिलेगी। राउत ने नोटिस में कहा कि मंत्री के बयान संविधान के अनुच्छेद 164(3) के तहत ली गई शपथ के खिलाफ हैं।
नोटिस में महाराष्ट्र के राज्यपाल से आग्रह किया गया है कि उन्हें मंत्री पद की शपथ का उल्लंघन करने और असंवैधानिक आचरण में शामिल होने के लिए राणे के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। अधिवक्ता सरोद ने कहा, ‘‘अगर राणे 15 दिनों में अपना बयान वापस नहीं लेते हैं, तो राज्यपाल के समक्ष औपचारिक शिकायत दर्ज कराई जाएगी।’’