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महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और पंजाब के 50 सर्वाधिक प्रभावित जिलों में नियम का पालन नहीं, केंद्रीय टीमों ने दी रिपोर्ट

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: April 11, 2021 21:44 IST

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि केंद्र ने टीकों की उपलब्धता से संबंधित मुद्दों पर भी ध्यान दिया है, और टीके की आपूर्ति बढ़ाने के लिए आवश्यक कार्रवाई उपलब्ध स्टॉक के आधार पर की जाएगी।

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ठळक मुद्देकोरोना वायरस से सबसे प्रभावित 50 जिलों में से 30 महाराष्ट्र के, 11 छत्तीसगढ़ के और नौ पंजाब के हैं। महाराष्ट्र में सबसे अधिक प्रभावित जिलों के लिए 30 केंद्रीय टीमों को तैनात किया गया है।इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों की सक्रिय निगरानी की कमी है।

नई दिल्लीः स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि केंद्रीय टीमों ने महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और पंजाब के लगभग सभी 50 सर्वाधिक प्रभावित जिलों में कोविड-19 उपयुक्त व्यवहार का पालन नहीं किए जाने की सूचना दी है। मंत्रालय ने राज्यों को कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए और अधिक सख्ती से नियमों को लागू करने की सलाह दी है।

 

उसने कहा कि टीमों से मिले फीडबैक के आधार पर, मंत्रालय ने राज्यों को पत्र लिखकर रोकथाम अभियान अच्छी तरह से नहीं चलाए जाने, सही तरीके से संपर्क का पता नहीं लगाए जाने, सही तरीके से जांच नहीं की जाने और स्वास्थ्य कर्मियों की कमी समेत चिंता के अन्य क्षेत्रों को रेखांकित किया है। मंत्रालय ने कहा कि अधिकारियों को इन क्षेत्रों में काम करने की जरूरत है।

सबसे प्रभावित 50 जिलों में से 30 महाराष्ट्र के, 11 छत्तीसगढ़ के और नौ पंजाब के

उसने कहा कि कोरोना वायरस से सबसे प्रभावित 50 जिलों में से 30 महाराष्ट्र के, 11 छत्तीसगढ़ के और नौ पंजाब के हैं। राज्यों को लिखे पत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि केंद्र ने टीकों की उपलब्धता से संबंधित मुद्दों पर भी ध्यान दिया है, और टीके की आपूर्ति बढ़ाने के लिए आवश्यक कार्रवाई उपलब्ध स्टॉक के आधार पर की जाएगी।

उन्होंने कहा कि टीमों द्वारा दी गई रिपोर्ट के मुताबिक, जांच, अस्पताल के बुनियादी ढांचे और टीकाकरण से संबंधित प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों का संक्षिप्त सारांश भी राज्य या जिला प्रशासन द्वारा उपयुक्त सुधारात्मक कार्यों के लिए साझा किया गया है।

जांच का नतीजा देने में देर की जा रही है

भूषण ने कहा कि महाराष्ट्र में सबसे अधिक प्रभावित जिलों के लिए 30 केंद्रीय टीमों को तैनात किया गया है और वहां इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों की सक्रिय निगरानी की कमी है। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य सचिव को शनिवार को लिखे पत्र में भूषण ने कहा कि बुलढाना, सतारा, औरंगाबाद और नांदेड़ में निगरानी और संपर्कों का पता लगाने का काम भी सही तरीके से नहीं किया जा रहा है और इसकी वजह कर्मियों की संख्या सीमित होना है। उसने कहा कि सतारा, भंडारा, पालघर, अमरावती, जालना और लातूर में जांच क्षमता को पहले से ही मजबूत कर दिया गया है लेकिन जांच का नतीजा देने में देर की जा रही है।

नांदेड़ और बुलढाना की टीमों ने आरटी-पीसीआर और रैपिड एंटीजन परीक्षण के अनुपात को बहुत कम बताया है। उसमें कहा गया है कि भंडारा और सतारा में बड़ी संख्या में मरीज घर में पृथक-वास में हैं और मृत्यु दर को कम से कम करने के लिए उनकी कड़ी निगरानी करने की जरूरत है लेकिन यह नहीं हो रहा है।

स्वास्थ्य कर्मियों की काफी कमी की रिपोर्ट मिली है

पत्र में कहा गया है कि देखा गया कि सतारा के उपचार केंद्रों में मरीजों के देर से पहुंचने पर अस्पताल में दाखिल होने के शुरुआती 72 घंटों के भीतर बड़ी संख्या में मौतें होती हैं। अहमदनगर, औरंगाबाद, नागपुर और नंदुरबार के अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीज भर्ती हैं जबकि भंडारा, पालघर, उस्मानाबाद और पुणे में मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति में मसला है। मंत्रालय ने कहा कि सतारा और लातूर में वेंटिलेटरों की खराबी और कुछ अन्य जिलों के स्वास्थ्य कर्मियों की काफी कमी की रिपोर्ट मिली है।

कड़ाई से लागू करने की जरूरत

मंत्रालय ने कहा, “लगभग सभी केंद्रीय टीमों द्वारा कोविड उपयुक्त व्यवहार के पालन में कमी पाई गई। इसे कड़ाई से लागू करने की जरूरत है। ” छत्तीसगढ़ के लिए, रायपुर और जशपुर जिलों की टीम ने निषिद्ध क्षेत्रों में परिधि नियंत्रण की कमी बताई है। राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) को लिखे गए पत्र में कहा गया है,“ ऐसा प्रतीत होता है कि निषिद्ध क्षेत्र के अंदर लोगों की आवाजाही पर कोई प्रतिबंध नहीं है। इसलिए सूक्ष्म निषिद्ध क्षेत्र समेत निषिद्ध क्षेत्रों को कड़ाई से लागू करने की जरूरत है। उसने कहा कि कोरबा में संपर्कों का पता लगाने के कार्य को बढ़ाने की जरूरत है।

कुछ जिलों से आरटी पीसीआर की जांच केंद्रों की कमी की रिपोर्ट मिली है। मंत्रालय ने आरटीपीसीआर जांच के लिए मोबाइल प्रयोगशालाओं को तैनात करने का राज्य को सुझाव दिया। मंत्रालय ने कहा कि जिला प्रशासन को कोविड-19 के मामलों में वृद्धि से उत्पन्न मांग को पूरा करने के लिए अस्पताल के बुनियादी ढांचे और अन्य साजो सामान की आवश्यकता को पूरा करने की जरूरत है। कोरबा में रेमडेसिविर और हेपरिन की कमी पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। पंजाब में, पटियाला और लुधियाना में संपर्कों का पता लगाने पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।

आरटी पीसीआर पद्धति से जांच करने के लिए कोई प्रयोगशाला नहीं

भूषण ने पंजाब के स्वास्थ्य सचिव से कहा कि कर्मियों की कमी की वजह से एसएस नगर में संपर्कों का पता लगाने तथा निगरानी में बाधा आ रही है तथा अतिरिक्त कर्मियों की तैनाती की जानी चाहिए। पत्र में कहा गया है कि पटियाला में कम जांच होने की रिपोर्ट मिली है तथा रूपनगर में आरटी पीसीआर पद्धति से जांच करने के लिए कोई प्रयोगशाला नहीं।

उसमें कहा गया है कि एसएएस नगर और रूपनगर में कोई कोविड अस्पताल नहीं है और मरीजों को पड़ोसी जिलों या चंडीगढ़ रेफर किया जा रहा है। कुछ जिलों में बड़ी संख्या में अस्पतालों में मरीज भर्ती हैं और अधिकारियों को मामलों के बढ़ने पर स्थिति से निपटने की व्यवस्था करनी चाहिए। 

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