चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा आने वाले 6 नवंबर को तमिलनाडु में 50 जगहों पर मार्च निकालने के संबंध में अनुमति देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य पुलिस द्वारा प्रतिबंध लगाये जाने को अनावश्यक बताते हुए 50 में से 44 स्थानों पर आरएसएस को मार्च निकालने की इजाजत दे दी है।
इस संबंध में सुनवाई करते हुए मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस जीके इलांथिरैयान ने कहा कि वह आरएसएस को राज्य पुलिस द्वारा प्रतिबंधित 50 स्थलों में से 44 स्थानों पर मार्च निकालने की आज्ञा देते हैं।
इसके साथ ही जस्टिस इलांथिरैयान ने यह भी कहा कि खुफिया रिपोर्ट में उन्हें केवल 6 स्थानों स्थानों पर हिंसा या उपद्रव की आशंका वाली रिपोर्ट मिली है। उसके अलावा खुफिया रिपोर्टों में कहीं भी मार्च के सबंध में कोई चिंताजनक बात नहीं व्यक्त की गई है। इस कारण से राज्य पुलिस द्वारा आरएसएस के मार्च को रोका जाना गलत प्रतीत हो रहा है।
जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ ने तमिलनाडु में मार्च के लिए पुलिस से 50 जगहों के लिए अनुमति मांगी थी। लेकिन राज्य पुलिस ने 50 में से 24 जगहों पर यह कहते हुए आरएसएस को मार्च की अनुमति देने से इनकार कर दिया था कि उन जगहों पर मार्च के दौरान हिंसा हो सकती है। इतना ही नहीं पुलिस ने बाकि बची 26 जगहों में से 23 जगहों पर आरएसएस को यह कहा खा कि वो घरों के अंदर कार्यक्रम का आयोजन करे और महज 3 जगहों पर उसे मार्च निकालने की अनुमति दी थी।
मामले में तूल पकड़ा और आरएसएस के राज्य पदाधिकारी ने पुलिस रवैये का विरोध करते हुए हाईकोर्ट का रूख किया। तमिलनाडु आरएसएस के उच्च पदाधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार पुलिस मशीनरी के द्वारा उनके कार्यक्रम को जानबूझ कर रोकने का प्रयास कर रही है, जबकि वो शांतिपूर्व मार्च निकाने की इजाजत मांग रहे हैं।
अब जब पुलिस प्रतिबंध पर मद्रास हाईकोर्ट ने आरएसएस के पक्ष में फैसला दे दिया है तो संघ के पदाधिकारी इससे बेहद खुश नजर आ रहे हैं वहीं राज्य पुलिस की परेशानी बढ़ गई है। इस संबंध में सूबे के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि 50 की जगह 44 जगहों पर भी मार्च को शांतिपूर्वक संपन्न कराने के लिए भारी मात्रा में पुलिस बल की तैनाती करनी होगी और चूंकि अब हाईकोर्ट ने आदेश दिया है तो राज्य पुलिस कोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए संघ की यात्रा को सुरक्षित संपन्न कराने का पूरा प्रयास करेगी।