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लोकसभा चुनाव: अंतिम चरण में तीन सीटों पर लगी है कांग्रेस की प्रतिष्ठा दाव पर, ये दिग्गज नेता पार्टी से हुए बाहर

By एस पी सिन्हा | Updated: May 10, 2019 18:45 IST

लोकसभा चुनाव: डा. मीरा कुमार पूर्व उपप्रधानमंत्री जगजीवन राम की पुत्री हैं. वह लोकसभा अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. मीरा कुमार का मुकाबला भाजपा के छेदी पासवान है. छेदी पासवान के पक्ष में 14 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सासाराम में सभा होगी.

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बिहार में दो चरणों के तहत होने वाले लोकसभा के चुनाव में बाकी बची 16 लोकसभा सीटों में कांग्रेस के तीन उम्मीदवार मैदान में हैं और उनकी प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई है. इसमें पटना साहिब, सासाराम और वाल्मीकि नगर सीटें हैं. पार्टी ने सासाराम सुरक्षित सीट से अपने पुराने चेहरे डा. मीरा कुमार को चुनाव मैदान में उतारा है. डा. मीरा कुमार पूर्व उपप्रधानमंत्री जगजीवन राम की पुत्री हैं. वह लोकसभा अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. 

मीरा कुमार का मुकाबला भाजपा के छेदी पासवान है. छेदी पासवान के पक्ष में 14 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सासाराम में सभा होगी. जबकि, पटना साहिब में भाजपा से शत्रुघ्न सिन्हा और वाल्मीकि नगर में शाश्वत केदार पार्टी के प्रत्याशी हैं. पटना साहिब सीट पर कांग्रेस को उम्मीदवार उपहार के तौर पर मिला है.

1984 के बाद कांग्रेस नहीं जीत पाई चुनाव 

हालांकि, पिछले कई चुनावों से पार्टी के उम्मीदवार यहां खडे होते आये हैं. पर, 1984 के बाद कांग्रेस यहां से चुनाव नहीं जीत पाई है. 1984 में डा. सीपी ठाकुर ने यहां से जीत हासिल की थी. इसके पहले 1962 के आम चुनाव में रामदुलारी सिन्हा ने यहां से कांग्रेस को जीत दिलायी थी. इस बार पार्टी के पास हाइप्रोफाइल शत्रुघ्न सिन्हा उम्मीदवार हैं. 2014 के चुनाव में भाजपा की टिकट पर सांसद बने शत्रुघ्न सिन्हा ने इस बार कांग्रेस का दामन थामा है. पार्टी ने इन्हें स्टार प्रचारक भी बनाया है. शत्रुघ्न सिन्हा और उनकी पार्टी कांग्रेस के लिए इस बार पटना की सीट अग्निपरीक्षा के समान है. शत्रुघ्न सिन्हा के मुकाबले में भाजपा ने हैवीवेट केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को चुनाव मैदान में उतारा है. 

वाल्मिकी नगर सीट से कांग्रेस ने पूर्णमासी राम को बनाया उम्मीदवार वहीं, कांग्रेस की तीसरी सीट वाल्मीकि नगर की है. यहां पार्टी ने इस बार ब्राह्मण चेहरे को मैदान में उतारा है. हालांकि, पिछली बार कांग्रेस की टिकट पर पूर्णमासी राम उम्मीदवार बनाये गये थे. भाजपा की मौजूदा इस सीट पर कई नेता टिकट के दावेदार थे, लेकिन अंतिम समय में पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री केदार पांडेय के पौत्र शाश्वत केदार को मैदान में उतारने का फैसला लिया. यहां इनका मुकाबला जदयू के वरिष्ठ नेता वैद्यनाथ प्रसाद महतो से है. महतो इसके पहले भी वाल्मीकि नगर का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. वे राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. 

मधुबनी सीट पर कांटे की टक्कर 

वहीं, यह भी उल्लेखनीय है कि डा. शकील अहमद को पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर अहमद पटेल का समर्थक माना जाता है. तारिक अनवर के पार्टी में शामिल होने के पूर्व तक वह बिहार में कांग्रेस के मुस्लिम चेहरा माने जाते रहे. मधुबनी लोकसभा सीट से सांसद रहे डा. शकील अहमद को मलाल था कि पार्टी ने इस सीट पर तालमेल के लिए महागठबंधन के बीच सही तरीके से अपनी बातों को नहीं रखा. मिथिलांचल में कीर्ति झा आजाद को मौका नहीं मिलने के बाद मधुबनी की सीट पर कांग्रेसजनों को तालमेल की गुंजाइश दिख रही थी. अब पूरे मिथिलांचल के इलाके में एक मात्र सुपौल में ही कांग्रेस की रंजीत रंजन उम्मीदवार हैं. 

बता दें कि साल भर में कांग्रेस से अलग होने वाले डा. शकील अहमद राज्य के दूसरे नेता हैं. राज्य में महागठबंधन के घटक दलों के बीच चुनावी तालमेल से नाराज और मधुबनी सीट पर पार्टी के निर्णय के खिलाफ जा कर चुनाव लडने वाले डा. अहमद को कांग्रेस ने निलंबित कर दिया है. डा. शकील अहमद कांग्रेस के लिए मुस्लिम चेहरा माने जाते रहे हैं. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व राबडी देवी सरकार में मंत्री रहे डा. शकील अहमद पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भी रहे हैं. पार्टी ने मधुबनी में हुए छह मई के चुनाव के ठीक एक दिन पहले डा. शकील अहमद और उनके साथ प्रचार में रहीं पार्टी विधायक भावना झा को निलंबित कर दिया. इसके पहले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी भी पार्टी छोड चुके हैं. अशोक चौधरी हाल ही में जदयू में शामिल हुए थे. 

टॅग्स :लोकसभा चुनावबिहार लोकसभा चुनाव 2019
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