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लोकसभा चुनावः जिस कांग्रेस को हटाने के लिए शत्रुघ्न सिन्हा ने पसीना बहाया, अब उसी कांग्रेस का सहारा!

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: March 30, 2019 23:04 IST

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत के बाद राजस्थान का नेतृत्व जिन्हें मिल सकता था, उनमें घनश्याम तिवाड़ी भी प्रमुख थे, लेकिन सीएम का ताज वसुंधरा राजे को मिला और राजस्थान बीजेपी का पूरा सियासी समीकरण ही बदल गया.

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ठळक मुद्देशत्रुघ्न सिन्हा की बेटी प्रसिद्ध अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा का कहना है कि- उन्हें काफी पहले बीजेपी छोड़ देनी चाहिए थी.पीएम मोदी का नया नेतृत्व उभरने के बाद शत्रुघ्न सिन्हा किनारे कर दिए गए, वैसे ही वसुंधरा राजे के राजस्थान में आने के बाद घनश्याम तिवाड़ी भी एक तरफ होते गए.

राजस्थान में आठवें दशक में शत्रुघ्न सिन्हा ने दक्षिण राजस्थान के ठेठ आदिवासी क्षेत्र तक में जा कर राजस्थान की सियासी तस्वीर से कांग्रेस को हटाने के लिए बीजेपी का जोरदार प्रचार किया, पसीना बहाया, वही कांग्रेस अब उनका सहारा बनने जा रही है, जबकि बीजेपी के नए नेतृत्व ने उन्हें किनारे ही लगा दिया है.

वह राजस्थान में बीजेपी का ऐसा दौर था जब चुनाव में टिकट देने के लिए भी उम्मीदवार तलाशने पड़तेे थे, उन्हें चुनाव लड़ने के लिए मनाना पड़ता था.

घनश्याम तिवाड़ी ने थामा कांग्रेस का दामन 

उसी दौर में घनश्याम तिवारी भी उन प्रमुख बीजेपी नेताओं में से थे, जिन्होंने राजस्थान की राजनीतिक तस्वीर में भगवा रंग भरने के लिए बहुत मेहनत की, लेकिन जिस तरह पीएम मोदी का नया नेतृत्व उभरने के बाद शत्रुघ्न सिन्हा किनारे कर दिए गए, वैसे ही वसुंधरा राजे के राजस्थान में आने के बाद घनश्याम तिवाड़ी भी एक तरफ होते गए.

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत के बाद राजस्थान का नेतृत्व जिन्हें मिल सकता था, उनमें घनश्याम तिवाड़ी भी प्रमुख थे, लेकिन सीएम का ताज वसुंधरा राजे को मिला और राजस्थान बीजेपी का पूरा सियासी समीकरण ही बदल गया.

अब घनश्याम तिवाड़ी भी कांग्रेस में हैं, लेकिन चार दशक का उनका और शत्रुघ्न सिन्हा का सियासी उपलब्धियों का इतिहास कोई याद करेगा या नहीं, कहीं दर्ज भी रहेगा या नहीं, कोई नहीं जानता.

सोनाक्षी सिन्हा का बयान 

शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी प्रसिद्ध अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा का कहना है कि- उन्हें काफी पहले बीजेपी छोड़ देनी चाहिए थी. यह सच है कि शत्रुघ्न सिन्हा ने भाजपा छोड़ने में बहुत देर कर दी, तो घनश्याम तिवाड़ी भी लंबा इंतजार करते रहे, दूसरी पार्टी भी बनाई, चुनाव भी लड़े और अंत में जा कर कांग्रेस का हाथ थामा, क्योंकि बीजेपी का रंग इतना गहरा था कि बदलाव के लिए अपनेआप को समझाना बेहद मुश्किल था.

बहरहाल, दोनों ने अपनी नई सियासी पारी शुरू कर दी है. देखना रोचक होगा कि वे पहले जैसी कामयाबी दोहरा पाते हैं या नहीं.

 

टॅग्स :लोकसभा चुनावशत्रुघ्न सिन्हासोनाक्षी सिन्हा
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