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केंद्रीय पूल से बिजली की कमी जारी रहने पर ‘लोड शेडिंग’ करना पड़ सकता है: केरल मंत्री

By भाषा | Updated: October 10, 2021 20:10 IST

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तिरुवनंतपुरम, 10 अक्टूबर केरल के बिजली मंत्री के कृष्णनकुट्टी ने रविवार को कहा कि ताप विद्युत संयंत्रों के लिए कोयले की अनुपलब्धता के कारण केंद्रीय पूल से बिजली की कमी लंबे समय तक जारी रहने की स्थिति में राज्य सरकार को लोड-शेडिंग का सहारा लेना पड़ सकता है।

कोयले की कमी के कारण चार ताप विद्युत स्टेशन बंद होने से राज्य पिछले कुछ दिनों से केंद्रीय पूल से 15 प्रतिशत बिजली की कमी का सामना कर रहा है। हालांकि अभी तक ‘लोड शेडिंग’ नहीं हुई है।

मंत्री ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘केरल पहले से ही प्रभावित है। कल (शनिवार) हमें कुंडनकुलम से अपने दैनिक कोटे का केवल 30 प्रतिशत प्राप्त हुआ। ऑस्ट्रेलिया से कोयले और विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों से संबंधित मुद्दे हैं। हमें एक स्थायी समाधान खोजने की जरूरत है। अगर स्थिति लंबे समय तक इसी तरह जारी रहती है तो हमें राज्य में बिजली कटौती करनी होगी।’’

मंत्री ने पीटीआई-भाषा को बताया कि राज्य केंद्रीय मंत्रालय से प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहा है और बिजली कटौती पर निर्णय विभिन्न हितधारकों के साथ आगे की चर्चा के बाद ही लिया जाएगा।

कई कारणों जैसे कि अधिक वर्षा से कोयले की आवाजाही प्रभावित होने और आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्र रिकार्ड उच्च दरों के चलते अपनी क्षमता का आधे से भी कम उत्पादन करने के चलते दिल्ली और पंजाब जैसे राज्यों में ऊर्जा संकट उत्पन्न होने की आशंका है।

केरल राज्य विद्युत बोर्ड (केएसईबी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि राज्य में इसका असर होगा लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि राज्य तुरंत ‘लोड-शेडिंग’ का सहारा लेगा।

अधिकारियों ने कहा, ‘‘वर्तमान में, यह प्रबंधनीय है। इन दिनों बारिश के कारण, व्यस्त समय के दौरान बिजली की खपत में कमी आई है। वर्तमान में, हम लगभग 15 प्रतिशत की कमी का सामना कर रहे हैं। यदि यह 20 प्रतिशत से अधिक हो जाता है, तो हमें ‘लोड-शेडिंग’ के बारे में सोचना पड़ेगा।’’

अधिकारी ने बताया कि व्यस्त समय में राज्य में खपत 2800-3800 मेगावाट के बीच होती है।

अधिकारी ने कहा, "कुछ दिनों के दौरान हम 120 मेगावाट से 900 मेगावाट की कमी का सामना कर रहे हैं। आज अनुमानित कमी लगभग 200 मेगावाट है।’’

इससे पहले दिन में कृष्णनकुट्टी ने कहा कि वह जल विद्युत परियोजनाओं के पक्ष में हैं और केरल में काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि 3,000 टीएमसी पानी उपलब्ध है, जिसमें से 1,700 टीएमसी बिजली उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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